नई दिल्ली । रूस की कोरोना वैक्सीन ‘स्पूतनिक-वी’ की पहली खेप आज भारत पहुंच रही है। देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए यह बड़ी राहत वाली खबर है। स्पूतनिक-वी भारत की कंपनी डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरी के साथ भारतीय बाजार में उतर रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक मई को स्पूतनिक-वी की पहली खेप भारत आएगी। इससे अब कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत को मजबूती मिलेगी। भारत में 1 मई से देशभर में 18 साल से अधिक सभी व्यस्क नागरिकों को कोरोना का टीका लगाए जाने का निर्णय लिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट में आई खबर के अनुसार रूस से स्पुतनिक-वी की पहली खेप में डेढ़ से दो लाख खुराक भारत आएगी। इसके बाद मई के मध्य या महीने के अंत तक 30 लाख और डोज आएगी। इसके साथ ही जून में 50 लाख डोज भारत में आएगा।
स्पुतनिक-वी वैक्सीन को गमालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा विकसित की गई है। नकारी के अनुसार, रूस से आयात की जाने वाली स्पुतनिक-वी वैक्सीन की पहली खेप सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार केंद्र, राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों को दी जाएगी। अभी इस वैक्सीन की कीमत निर्धारण की प्रक्रिया चल रही है।
शुरुआत में इस वैक्सीन की क्षमता पर सवाल खड़े किए गए, मगर बाद में जब इस साल फरवरी में ट्रायल के डेटा को द लांसेट में पब्लिश किया गया तो इसमें इस वैक्सीन को सेफ और इफेक्टिव बताया गया। दरअसल कोविड-19 के रूसी टीके ‘स्पूतनिक-वी के तीसरे चरण के परीक्षण में यह 91.6 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई है और कोई दुष्प्रभाव भी नजर नहीं आया। ‘द लांसेट’ जर्नल में प्रकाशित आंकड़ों के अंतरिम विश्लेषण में यह दावा किया गया है। अध्ययन के ये नतीजे करीब 20,000 प्रतिभागियों से एकत्र किए गए आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित हैं।
इसके दो महीने बाद अप्रैल महीने में भारत में रूसी कोरोना टीके ‘स्पूतनिक वी’ के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई। भारत के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने देश में कुछ शर्तों के साथ रूसी कोरोना टीके ‘स्पूतनिक वी’ के आपात इस्तेमाल को मंजूरी देने की सिफारिश की थी, जिस पर भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने अपनी मुहर लगाई। गमालया इंस्टीट्यूट ने दावा किया की कि स्पुतनिक-वी कोरोना के खिलाफ अब तक विकसित सभी टीकों में सबसे अधिक प्रभावी है।
रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-वी, एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की तरह ही एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है। मगर किसी भी अन्य कोरोना वैक्सीन के विपरीत, स्पूतनिक-वी वैक्सीन की दोनों खुराक एक दूसरे से अलग होती हैं। स्पूतनिक वी की दोनों खुराकों में अलग-अलग वैक्टरों का उपयोग SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करने के लिए किया गया है। बता दें कि कि सार्स-कोव-2 ही कोरोना वायरस का कारण बनता है। वैक्सीन की प्रकृति में भी स्पूतनिक वी की दो खुराक एक ही टीका के थोड़े अलग संस्करण हैं और इसका उद्देश्य कोरोना के खिलाफ लंबी सुरक्षा प्रदान करना है।
अगर इस वैक्सीन की कीमत की बात करें तो कंपनी ने इसकी कीमत को लेकर कहा है कि भारत में स्पूतनिक v के एक डोज के लिए अधिकतम 10 डॉलर (करीब 750 रुपए) खर्च करने होंगे। हालांकि, स्पूतनिक वैक्सीन की आधिकारिक कीमत का ऐलान नहीं हुआ है। फिलहाल, भारत में जो दो वैक्सीन है, उसे केंद्र सरकार 250 रुपए में खरीदती है।
रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी की ग्लोबल रीच बहुत ही ज्यादा हो सकती है, क्योंकि स्पूतनिक-वी की आपूर्ति के लिए 60 से अधिक देशों ने कॉन्ट्रैक्ट साइन किए हैं। बता दें कि अगर एक मई को स्पूतनिक वैक्सीन की पहली खेप भारत पहुंच जाती है तो 1 मई से ही टीकाकरण के तीसरे फेज में इसका इस्तेमाल हो सकता है। 1 मई से भारत में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी टीका लगेगा।
तुर्की, चिली और अल्बानिया के अलावा, 60 अन्य देशों ने स्पुतनिक-वी को मंजूरी दी है। रूस, बेलारूस, अर्जेंटीना, बोलीविया, सर्बिया, अल्जीरिया, फिलिस्तीन, वेनेजुएला, पैराग्वे, तुर्कमेनिस्तान, हंगरी, यूएई, ईरान, रिपब्लिक ऑफ गिनी, ट्यूनीशिया, आर्मेनिया, मैक्सिको, निकारागुआ, रिपब्लिका श्रीपस्का (बोस्निया और हर्जेगोविना की इकाई), लेबनान, म्यांमार, पाकिस्तान, मंगोलिया, बहरीन, मोंटेनेग्रो, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, गैबॉन, सैन-मेरिनो, घाना, सीरिया, किर्गिस्तान, गुयाना, मिस्र, होरासुर, ग्वाटेमाला, मोल्दोवा, स्लोवाकिया, अंगोला, कांगो गणराज्य , जिबूती, श्रीलंका, लाओस, इराक, उत्तरी मैसेडोनिया, केन्या, मोरक्को, जॉर्डन, नामीबिया, अजरबैजान, फिलीपींस, कैमरून, सेशेल्स, मॉरीशस, वियतनाम, एंटीगुआ और बारबुडा, माली, पनामा, भारत, नेपाल और बांग्लादेश ने स्पुतनिक को मंजूरी दे दी है।