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Up kiran,Digital Desk : कल से झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। अब विधानसभा का सत्र हो और हंगामा न हो, ऐसा भला कैसे हो सकता है? इसी हंगामे और शोर-शराबे को थोड़ा काबू में रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सदन में कुछ काम भी हो, आज विधानसभा अध्यक्ष ने सभी पार्टियों के बड़े नेताओं की एक मीटिंग बुलाई।

सोचिए, यह मीटिंग एक क्लास के मॉनिटर की तरह थी, जो टीचर के आने से पहले सबको शांत रहने के लिए कह रहा हो। इस मीटिंग में मुख्यमंत्री से लेकर विपक्ष के नेता और छोटी-बड़ी सभी पार्टियों के प्रतिनिधि मौजूद थे। मक़सद साफ़ था - चलिए, पहले ही बात कर लेते हैं ताकि कल सदन में सिर्फ़ कुर्सियाँ न उठें, बल्कि कुछ जनता के मुद्दे भी उठें।

इससे पहले, स्पीकर साहब ने सभी सरकारी अफ़सरों की भी एक क्लास ली थी। उन्होंने साफ़-साफ़ कह दिया:

  • सारे सवालों के जवाब पहले से तैयार रखें। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई विधायक सवाल पूछे और आप वहाँ ख़ाली बैठे रहें।
  • सभी विभागों के बड़े अफ़सर सदन में मौजूद रहेंगे, ताकि ज़रूरत पड़ने पर तुरंत जानकारी दे सकें।
  • पुराने जो भी सवाल पेंडिंग हैं, उनके जवाब भी लेकर आइए।

लेकिन विपक्ष तो पूरी तैयारी में है!

अब एक तरफ़ तो ये शांति बनाए रखने की कोशिशें हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ़ विपक्ष भी पूरी तरह कमर कस चुका है। उनके तरकश में कई ऐसे तीर हैं, जो सत्ता पक्ष के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। विपक्ष इन मुद्दों पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है:

  • बिजली का बढ़ा हुआ बिल: यह एक ऐसा मुद्दा है जो हर आम आदमी से जुड़ा है।
  • भ्रष्टाचार: विपक्ष का यह सदाबहार और सबसे मज़बूत हथियार है।
  • अवैध खनन: राज्य में कोयले और बालू के अवैध खनन का मुद्दा भी ज़ोर-शोर से उठाया जाएगा।

कुल मिलाकर, स्पीकर साहब भले ही शांति की अपील कर रहे हों, लेकिन सत्र के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं। अब देखना यह है कि सदन में चर्चा ज़्यादा होती है या हंगामा।