यरुशलम। इजरायल में सत्ता परिवर्तन के लिए चल रहे घमासान के बीच नेतन्याहू की चुनौती को राष्ट्रपति रुवे रिवलिन ने झटका देते हुए विपक्षी नेता नफ्ताली बेनेट द्वारा सरकार बनाने के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
नेतन्याहू सरकार में कभी रक्षामंत्री समेत दूसरे पदों पर रहे नफ्ताली ने रविवार को नई सरकार बनाने का एलान किया था। वे नई सरकार बनाने के लिए मध्यम मार्गी नेता याइर लैपिड के साथ गठबंधन कर रहे हैं। समझौते के तहत नफ्ताली और लैपिड बारी-बारी से देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। माना जा रहा है कि दोनों नेता बारी-बारी से दो-दो साल तक पीएम रह सकते हैं। इन नेताओं को राष्ट्रपति के पास समझौता पेश करने के लिए बुधवार आधी रात तक का समय दिया गया है।
उसके बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी ने राष्ट्रपति भवन और संसद को लिखे पत्र में कहा कि याइर लैपिड, नफ्ताली को प्रधानमंत्री का पद सौंपने के लिए अधिकृत नहीं हैं। उनकी इस चुनौती को राष्ट्रपति भवन ने खारिज करते हुए कहा कि इस दावे में कानूनी आधार नहीं है क्योंकि नफ्ताली वैकल्पिक प्रधानमंत्री के तहत रोटेशन के आधार पर अपनी बारी आने पर शपथ लेंगे।
बेनेट की इस घोषणा के साथ ही पिछले करीब 12 साल से सत्ता पर काबिज नेतन्याहू के शासन के खत्म होने की अटकलें तेज होने लगी हैं। बेनेट पहले नेतन्याहू के सहयोगी थे लेकिन बाद में वे विरोधी हो गए। उन्होंने कहा कि इजरायल को दो साल में लगातार पांचवीं बार चुनाव से बचाने के लिए यह फैसला लिया है।
उधर, विरोधियों के एकजुट होने पर नेतन्याहू भड़क उठे हैं। उन्होंने इस गठबंधन को सदी का सबसे बड़ा धोखा करार दिया है। नेतन्याहू ने कहा, ‘देश में एक भी ऐसा शख्स नहीं है जो बेनेट को वोट देगा। यह सदी का सबसे बड़ा धोखा है।’ उन्होंने कहा कि इस गठबंधन के बाद वामपंथी दल सत्ता में आए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस सरकार के बनने पर इजरायल कमजोर हो जाएगा। नेतन्याहू ने दावा किया कि देश में अभी भी दक्षिणपंथी सरकार संभव है।