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डेस्क. भादों के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को भगवान श्री कृष्‍ण का जन्‍मदिन जन्‍माष्‍टमी के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। इस साल उनकी 5245वीं जयंती होने की बात कही जा रही है।

ऐसे में उनके इस अवतार से जुड़े कुछ ऐसे चमत्‍कार हैं, जिनका आम इनसान पर काफी गहरा प्रभाव है। आइए जानते हैं श्री कृष्‍णावतार से जुड़े इन अवतारों के बारे में….

मुंह खोलकर माता यशोदा को कराए ब्रह्मांड के दर्शन

यह नटखन बाल गोपाल की बाल लीला से जुड़ी घटना है। एक सुबह कृष्ण अपने बाल सखाओं संग खेल रहे थे। बलराम ने देखा कि कृष्ण ने मिट्टी खा ली है, तो उन्‍होंने और बाकी मित्रों माता यशोदा से इसकी शिकायत कर दी। यशोदा जी तुरंत आईं और कृष्ण से पूछने लगीं कि उन्‍होंने मिट्टी खाई है या नहीं।

कृष्ण ने मां की ओर देखा और मासूमियत से कहा कि नहीं तो! मित्र झूठ बोल रहे हैं। देखो मेरा मुंह, क्या मैंने मिट्टी खाई है? ऐसा कहकर कृष्ण ने अपना मुंह खोल दिया। माता यशोदा को मिट्टी तो नजर नहीं आई, इसके स्थान पर कृष्ण के मुंह में उन्‍हें संपूर्ण ब्रह्मांड के दर्शन हो गए।

गोवद्धन पर्वत को अंगुली पर उठाकर तोड़ा इंद्र का घमंड

कथा के मुताबिक भगवान इंद्र को अपनी शक्तियों और पद पर घमंड हो गया था जिसे चकनाचूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला रची। उन्होंने वृंदावन के लोगों को समझाया कि भगवान इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करें। इससे इंद्र देव नाराज हो गए और वृंदावन पर मूसलाधार बारिश शुरू कर दी।

इंद्र के प्रकोप से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाएं हाथ की छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। लोग पर्वत के नीचे आ गए और खुद को बचा लिया। 7 दिन तक लगातार इंद्र ने वर्षा की लेकिन आखिर में उन्हें अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्‍होंने खुद धरती पर आकर श्रीकृष्‍ण से माफी मांगी।

कालिया नाग के फन पर किया नृत्‍य

कलिया नाग दमन भगवान कृष्ण की असंख्य लीलाओं में से एक है। कालिया सर्प का असली घर रामनका द्वीप था। गरुड़ के डर से वह अपनी पत्नियों के साथ वृन्दावन में आकर बस गया और यमुना नदी में रहने लगा। इससे नदी इतनी जहरीली हो गई कि पानी से बुलबुले निकलने लगे। एक बार कृष्ण अपने दोस्तों के साथ गेंद खेल रहे थे। खेलते-खेलते गेंद नदी में चली गई और कृष्‍ण गेंद के पीछे-पीछे नदी में कूद गए।

कलिया नाग ने अपनी दस भुजाओं से जहर बहार निकलते हुए कृष्ण के शरीर को चारों ओर से लपेट लिया था। कृष्ण ने कालिया के हर प्रहार का मुकाबला किया और विवश होकर कालिया नाग को उनके आगे झुकना पड़ा। कालिया नाग ने श्री कृष्ण से माफी मांगी और जीवनदान के लिए विनती की।

 

द्रौपदी का चीरहरण बचाने में भी दिखाया चमत्‍कार

महाभारत में द्युतक्रीड़ा के समय युद्धिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया और दुर्योधन की ओर से मामा शकुनि ने द्रोपदी को जीत लिया। उस समय दुशासन द्रौपदी को बालों से पकड़कर घसीटते हुए सभा में ले आया। देखते ही देखते दुर्योधन के आदेश पर दुशासन ने पूरी सभा के सामने ही द्रौपदी की साड़ी उतारना शुरू कर दी।

सभी मौन थे, पांडव भी द्रौपदी की लाज बचाने में असमर्थ हो गए। तब द्रौपदी ने आंखें बंद कर वासुदेव श्रीकृष्ण का आव्हान किया। श्रीकृष्ण उस वक्त सभा में मौजूद नहीं थे। द्रौपदी ने कहा, ‘हे गोविंद आज आस्था और अनास्था के बीच जंग है, आज मुझे देखना है कि ईश्वर है कि नहीं’। तब श्रीकृष्ण ने सभी के समक्ष एक चमत्कार दिखाया और द्रौपदी की साड़ी तब तक लंबी होती गई जब तक की दुशासन बेहोश नहीं हो गया।

रणभूमि में अर्जुन को दिया गीता का उपदेश

जब भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे हैं, तब उन्होंने ये भी बोला था कि ये उपदेश पहले वे सूर्यदेव को दे चुके हैं। तब अर्जुन ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा था कि सूर्यदेव तो प्राचीन देवता हैं तो आप सूर्यदेव को ये उपदेश पहले कैसे दे सकते हैं। तब श्रीकृष्ण ने कहा था कि तुम्हारे और मेरे पहले बहुत से जन्म हो चुके हैं। तुम उन जन्मों के बारे में नहीं जानते, लेकिन मैं जानता हूं। इस तरह गीता का ज्ञान सर्वप्रथम अर्जुन को नहीं बल्कि सूर्यदेव को प्राप्त हुआ था।

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