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कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री आलमगीर आलम ने बीते कल को कैबिनेट और नेतृत्व दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया। आलम ने सीएम चंपई सोरेन और कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना इस्तीफा सौंपा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने इस्तीफे की पुष्टि की है।

आलमगीर आलम ने टेंडर प्रबंधन और कमीशन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा दिया है। गिरफ्तारी के बाद से आलमगीर जेल में हैं। इस्तीफे से पहले उनकी विभागीय जिम्मेदारियां खत्म कर दी गई थीं। गौरतलब है कि ईडी ने आलमगीर के निजी सचिव के नौकर के घर पर छापेमारी के दौरान 32.20 करोड़ रुपये बरामद किए थे। निजी सचिव के कार्यालय से अतिरिक्त धनराशि भी जब्त की गई थी। इसके बाद ईडी ने आलम को तलब किया और दो दिन की पूछताछ के बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया।

सूत्रों का सुझाव है कि आलमगीर आलम को 1 जून के बाद इस्तीफा दे देना चाहिए था, लेकिन निर्णय में देरी हुई। संताल क्षेत्र की तीन लोकसभा सीटों- गोड्डा, दुमका और राजमहल- के लिए मतदान का अंतिम चरण 1 जून को हुआ था। मुस्लिम वोट फैक्टर के कारण, तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसका लाभ गठबंधन उम्मीदवार को मिला। सात जून को आलम के सभी विभाग मुख्यमंत्री को सौंप दिए गए, जिससे वे बिना विभाग के मंत्री रह गए।

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