आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat 2021) होता है। इसे कुछ स्थानों पर जितिया व्रत भी कहा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। पुत्र के कल्याण की कामना से यह व्रत रखा जाता है। गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन के नाम पर ही इस व्रत का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया है। इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत 29 सितंबर दिन बुधवार को है। जीवित्पुत्रिका व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त, पारण एवं जितिया व्रत के महत्व के बारे में।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 28 सितंबर दिन मंगलवार को शाम के समय 06 बजकर 16 मिनट पर हो रहा है। इस तिथि का समापन अगले दिन 29 सिंतबर दिन बुधवार को रात 08 बजकर 29 मिनट पर होगा। धार्मिक मान्यता है कि व्रत के लिए उदयातिथि मान्य होती है, इसलिए जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat 2021) 29 सितंबर को रखा जाएगा।
जो भी माताएं इस वर्ष 29 सितंबर को जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat 2021) रहेंगी, उनको 30 सितंबर दिन गुरुवार को प्रात: स्नान आदि के बाद पूजा करके पारण करना होगा। दोपहर से पूर्व पारण कर लेना उत्तम होगा। सूर्योदय के बाद का पारण अच्छा माना जाता है। पारण किए बिना व्रत पूरा नहीं होता है और उसका संपूर्ण फल भी प्राप्त नहीं होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान को दीर्घ आयु, आरोग्य और सुखी जीवन प्राप्त होता है। यह कठिन व्रतों में से एक है। इस व्रत में पानी और अन्न का त्याग किया जाता है, इसलिए यह निर्जला व्रत कहलाता है।
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