
नई दिल्ली. जेएनयू छात्र नजीब अहमद के गुमशुदगी मामले में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को कुछ भी हाथ नहीं लगा। करीब दो साल से लापता नजीब का पता लगाने में विफल सीबीआई अब इस मामले को बंद करने की तैयारी में है। हाईकोर्ट में मंगलवार को सीबीआई ने यह जानकारी दी।
जस्टिस एस. मुरालीधर और विनोद गोयल की पीठ के समक्ष सीबीआई ने कहा कि उसने मामले में सभी पहलुओं और संभावनाओं की जांच की है जिसे पुलिस ने छोड़ दिया था। सीबीआई ने कहा कि उसकी जांच पूरी हो गई है और इसमें कुछ भी उसके हाथ नहीं लगा।
अधिवक्ता निखिल गोयल ने कहा कि सीबीआई ने संबंधित अदालत में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 169 के तहत रिपोर्ट यानी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्णय लिया है। मगर, अभी क्लोजर दाखिल नहीं की गई है क्योंकि इससे पहले वह हाईकोर्ट संज्ञान में लाना चाहती थी।
याचिका का निपटारा करने की मांग : हाईकोर्ट को यह जानकारी देते हुए सीबीआई की ओर से अधिवक्ता निखिल गोयल ने नजीब का पता लगाने के उसकी मां द्वारा दाखिल याचिका का निपटारा करने की मांग की। सीबीआई ने कहा कि याचिका का निपटारा होने के बाद वह संबंधित अदालत में इस मामले को बंद करने के लिए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करेगी।
सीबीआई की इस दलील का नजीब की मां फातिमा नफीस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसालविश ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने सीबीआई पर मामले की निष्पक्ष जांच नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने इस मामले की जांच से जुड़ी कोई भी जानकारी पीड़ित परिवार के साथ साझा नहीं किया। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
विशेष जांच दल गठित हो: गुमशुदा नजीब की मां फातिमा नफीस ने हाईकोर्ट से अब इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की है। इस पर हाईकोर्ट ने उनसे लिखित में पक्ष रखने और एसआईटी की कानून मान्यता को लेकर अपनी बात रखने को कहा है।
केंद्र के दबाव में सीबीआई ने संदिग्धों को बचाया : मां
नजीब की मां फातिमा की ओर से अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के दबाव में सीबीआई पर मामले की निष्पक्ष जांच नहीं करने का आरोप लगाया। अधिवक्ता ने कहा कि चूंकि मामले में संदिग्ध सभी छात्र भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी से जुड़े हैं, इसलिए उनसे पूछताछ नहीं की गई। साथ ही, कहा कि आखिर सीबीआई ने मामले में संदिग्ध नौ छात्रों को हिरासत में लेकर पूछताछ क्यों नहीं की। हाईकोर्ट में नजीब की मां फातिमा ने पहले भी सीबीआई पर जांच में कई महत्वपूर्ण बातों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। उनकी ओर से अधिवक्ता ने कहा था कि गायब होने से पहले नजीब के साथ मारपीट में शामिल एबीवीपी के 9 छात्रों के फोन की कॉल रिकॉर्ड अभी तक नहीं खंगाली गई।
कब क्या हुआ:-
– जेएनयू में झगड़ा
14 अक्तूबर 2016: रात के वक्त नजीब अहमद का जेएनयू में कुछ छात्रों से झगड़ा हुआ
– हॉस्टल से निकला
15 अक्तूबर: दोपहर नजीब हॉस्टल छोड़ कर कहीं चला गया, गायब होने का आरोप
– मामला दर्ज किया
16 अक्तूबर: पुलिस ने नजीब के गायब होने का मामला दर्ज करने के बाद जांच शुरू की
– 50 हजार का ईनाम
20 अक्तूबर: नजीब की सूचना देने वालों को 50 हजार रुपये देने का किया ईनाम
– राशि बढ़ती गई
– 25 अक्तूबर: ईनाम की राशि बढ़ाकर एक लाख रुपये की गई। वहीं, 4 नवंबर को ईनाम की राशि बढ़ाकर दो लाख रुपये की गई। इसके बाद 15 नवंबर को ईनाम की राशि पांच लाख रुपये कर दी गई। फिर 28 नवंबर को ईनाम की राशि बढ़ाकर दस लाख रुपये कर दी गई
– विज्ञापन जारी
05 नवंबर: पुलिस ने नजीब की तलाश के लिए जारी किया वीडियो विज्ञापन
– क्राइम ब्रांच को जांच
2 नवंबर: नजीब मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई। पुलिस ने 16 नवंबर को उस आटो चालक को ढूंढ निकाला, जिस पर सवार होकर नजीब निकला था
16 मई 2017
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर जांच सीबीआई को सौंपी गई
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