img

Up Kiran, Digital Desk: दीपावली की खुशियों से भरी एक यात्रा अचानक मातम में बदल गई। महेंद्र मेघवाल अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दिवाली मनाने घर जा रहे थे। वो अपने परिवार के साथ घर लौटने का इंतजार कर रहे थे, पर मनहूस बस हादसे ने उनकी जिंदगी छीन ली। जैसलमेर से जोधपुर लौटते समय इस दुर्घटना ने 20 लोगों की जान ले ली।

पथरा गई बूढ़ी मां की आंखें
महेंद्र की मां डेचू गांव में अपने बेटे के लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं। अब उनकी आंखें सूनी हो गई हैं। हादसे में महेंद्र, उनकी पत्नी पार्वती, दो बेटियों खुशबू और दीक्षा, और बेटा शौर्य सब अपनी जान गंवा बैठे। इतनी बड़ी त्रासदी में शवों की पहचान करना भी मुश्किल हो रहा है। पुलिस डीएनए सैंपल लेने की तैयारी में है ताकि पीड़ितों की पहचान हो सके।

महेंद्र की जिंदगी, परिवार और उनकी सेवा
महेंद्र जैसलमेर के आर्मी डिपो में तैनात थे। 35 साल के महेंद्र अपने परिवार के साथ दीपावली की छुट्टी मनाने घर लौट रहे थे। यह दुर्घटना उनके पूरे परिवार की खुशियों को खत्म कर गई। जोधपुर पुलिस महेंद्र की मां को शहर लाने की कोशिश कर रही है। अगर कोई दिक्कत हुई, तो डॉक्टर्स की टीम डीएनए टेस्ट के लिए भेजी जाएगी।

आंसुओं का सैलाब और टूटे हुए सपने
महेंद्र की पत्नी के भाई पार्वती भी शव गृह पहुंचे हैं। वहां हर किसी की आंखों में दर्द और आंसू हैं। यह हादसा हर किसी के दिल को झकझोर रहा है। दिवाली के त्योहार में आई यह काली घटा, लाखों परिवारों के लिए गम और आंसू लेकर आई।