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लगभग एक चौथाई सदी तक चुनावी मामलों में निष्क्रिय रहने वाले, छत्तीसगढ़ में सारंगढ़ शाही परिवार के सदस्य रायगढ़ लोकसभा सीट के लिए वापसी कर रहे हैं। सारंगढ़ में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व राजनीतिक रूप से नामी गोंड शाही वंश से आने वाली डॉ. मेनका देवी सिंह कर रही हैं, जो एसटी-आरक्षित सीट से उम्मीदवार हैं। बीजेपी खेमे से उनके सामने नए शामिल हुए राधेश्याम राठिया हैं। रायगढ़ छत्तीसगढ़ के उन सात निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है जहां 7 मई को मतदान होना है।

जानकारी के अनुसार, डॉक्टर मेनका देवी छत्तीसगढ़ की शाही वंश से एकमात्र प्रत्याशी हैं जो इस बार लोकसभा इलेक्शन में मैदान में हैं। बीते वर्ष छत्तीसगढ़ विधानसभा इलेक्शन में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और जूदेव परिवार के दो सदस्यों समेत पूर्ववर्ती राजघरानों के सात सदस्य मैदान में थे। मगर इनमें से किसी को भी कामयाबी नहीं मिली।

सन् 1962 में इस सीट के गठन के बाद से सारंगढ़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में 4 मर्तबा रायगढ़ लोकसभा सीट जीती है।

बता दें कि डॉक्टर मेनका देवी के पिता स्वर्गीय राजा नरेशचंद्र सिंह ने सन् 1952 से 68 तक अविभाजित मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया था। वो अविभाजित मध्य प्रदेश के एकमात्र सीएम थे जो आदिवासी समाज से थे। डॉक्टर मेनका देवी की मां स्वर्गीय ललिता देवी 1969 में पुसौर विधानसभा सीट (रायगढ़ जिला) से निर्विरोध विधायक चुनी गईं। डॉक्टर मेनका देवी राजा नरेशचंद्र की पांच बेटियों में सबसे बड़ी हैं। उनकी बेटी रजनीगंधा 1967 में रायगढ़ से सांसद रहीं और दूसरी बेटी पुष्पा देवी सिंह ने 1980, 1984 और 1991 में रायगढ़ लोकसभा चुनाव जीता था।

 

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