सावन माह की शुरुआत के साथ ही मंगलवार से कांवर यात्रा शुरू हो गई और कांवरियों का गंगा जल भरने के लिए हरिद्वार पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। एक पखवाड़े तक चलने वाली कांवर यात्रा में शिव भक्त सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करेंगे और यहां से गंगा जल लेकर लौटेंगे और शिव त्रयोदशी के दिन अपने गांव और क्षेत्र के शिवालयों में शिव का जलाभिषेक करेंगे।
ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि सबसे पहले गुरु द्रोणाचार्य ने हरिद्वार से कनवांग तक गंगाजल भरकर मेरठ के पास पुरा महादेव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। उन्होंने बताया कि कांवर के साथ श्रवण कुमार की कहानी भी जुड़ी हुई है जिन्होंने अपने अंधे माता-पिता को कांवर में बैठाकर तीर्थयात्रा करायी थी. इस साल चार करोड़ से ज्यादा कांवरियों के आने का अनुमान है, जिसे देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने का दावा किया है.
इतनी भारी तादाद में कांवर आने की संभावना को देखते हुए प्रशासन बहुच एहतियात बरत रहा है और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार तक सभी अफसरों ने कांवर को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं लगातार बैठकें कर यात्रा करें. गढ़वाल परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक वी मुरुगेशन ने बताया कि मेला क्षेत्र को कई जोन में बांटकर सुरक्षा व्यवस्था की गई है, वहीं जाम की स्थिति से निपटने के लिए भी योजना बनाई गई है.
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