Karwa Chauth 2021: महिलाओं को अबला नहीं बल्कि सबला बनाता है करवा चौथ, यहां पढ़ें-पौराणिक कथा 

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हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाया है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रहकर अपने पति की लंबी आयु और उनके मंगल की कामना करती हैं। करवा चौथ को पति-पत्नी के अखंड प्रेम और त्याग का प्रतीक माना जाता है। इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ शिव-पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की भी  विधि विधान से पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन शिव-पार्वती की पूजा का मतलब है पार्वती जैसी शक्ति और साधना प्राप्त करना और पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना। वर्तमान समय में करवा चौथ स्त्री-शक्ति के प्रतीक का  पर्व है।

karava chauth

अगर हम करवा चौथ की पौराणिक कथाओं पर गौर करें तो इसने स्त्रियों को निरुपाय या असहाय नहीं, बल्कि सशक्त दिखाया गया है। पौराणिक कथाओं में भी  स्त्रियां सशक्त भूमिका में नजर आती हैं और वे अपने पति और परिवार के लिए संकटमोचक बनकर उभरती हैं।  इसका सबसे बड़ा उदाहरण सावित्री हुआ सत्यवान हैं। कैसे सावित्री ने अपने पति सत्यवान को अपने सशक्त मनोबल से यमराज से छीन लिया था।

करवा चौथ कथा

ऐसी ही एक और कथा करवा चौथ को लेकर भी प्रचलित है।  कहा जाता है कि प्राचीन समय में करवा नाम की एक स्त्री अपने पति के साथ एक गांव में रहती थी। एक बार उसका पति नदी में स्नान करने गया। नहाते समय ही एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया। इस पर उसने पत्नी को सहायता के लिए पुकारा। पति की पुकार सुनकर करवा भागकर अपने उसके पास पहुंची और तत्काल एक धागे से मगरमच्छ को बांध दिया और उसका सिरा पकड़कर करवा पति के साथ यमराज के पास तक पहुंच गई।

यमराज के साथ किये गए प्रश्न उत्तर के बाद करवा के साहस को देखते हुए यमराज को उसके पति को वापस करना पड़ा। जाते समय यमराज ने करवा को सुख-समृद्धि के साथ वरदान भी दिया- ‘जो स्त्री इस दिन व्रत करके करवा को याद करेगी, उनके सौभाग्य की मैं रक्षा करूंगा।’ इस कथा में करवा ने अपने सशक्त मनोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की। मान्यता है कि जिस दिन करवा ने अपने पति के प्राण बचाए थे, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी थी। करवा चौथ के दिन व्रत रखने का अर्थ ही है संकल्प लेना।

वह संकल्प चाहे पति की रक्षा का हो, परिवार के कष्टों को दूर करने का या कोई और। यह संकल्प वही ले सकता है जिसकी इच्छा शक्ति प्रबल हो। प्रतीकात्मक रूप में करवा चौथ पर महिलाएं अन्न-जल त्याग कर यह संकल्प लेती हैं और अपनी इच्छा शक्ति  को परखती हैं। यह पर्व संकेत देता है कि स्त्री अबला नहीं, बल्कि सबला है और वह भी अपने परिवार को बुरे वक्त से उबार सकती है।

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