हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस साल खरामास आगामी 14 दिसंबर से शुरू हो जायेगा जो जनवरी के मध्य तक चलेगा। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि खरमास के दिनों में पूजा पाठ बेहद शुभ फलदायी होता है। वहीं मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं माना जाता। मान्यता है कि खरमास के दिनों में सूर्यदेव की पूजा विशेष फलदायक होती है। आइए आपको बताते हैं सूर्य देव की पूजा विधि और मंत्र जाप विधि। कहते हैं कि भौतिक वस्तुओं और अन्न-धन की तंगी से छुटकारा पाने के लिए खरमास में महीने में डूबते सूरज की विधिवत पूजा करनी चाहिए। वहीं ऐश्वर्य और सम्मान की इच्छा रखने वालों को खरमास में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए।
आराधना विधि
प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर स्नानदि कर लें। नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल डाल लें। नहाने के बाद साफ कपड़े पहन कर सूर्यदेव के सामने आसन बिछाएं। इसके बाद खड़े होकर तांबे के बर्तन में पवित्र जल भरें। जल में थोड़ी मिश्री भी मिला लें। मान्यता है कि सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली का मंगल दोष दूर होता है। सूर्योदय के समय दोनों हाथों से तांबे के लोटे से जल ऐसे चढ़ाएं कि सूर्य जल की धारा में नजर आये।
ये मंत्र पढ़ें
सूर्य अर्ध्य मंत्र
“ॐ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य
दिवाकर:।। सूर्याय नम:, आदित्याय नम:, नमो भास्कराय नम:। अघ्र्य समर्पयामि।।”
सूर्य ध्यान मंत्र
“ध्येय सदा सविष्तृ मंडल मध्यवर्ती। नारायण: सर सिंजासन सन्नि: विष्ठ:
केयूरवान्मकर कुंडलवान किरीटी। हारी हिरण्यमय वपुधृत शंख चक्र
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाधुतिम। तमोहरि सर्वपापध्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम
सूर्यस्य पश्य श्रेमाणं योन तन्द्रयते।
सूर्य आराधना मंत्र
“ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:। विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।” इस मंत्र के जप सूर्य देव जल्द प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा से सभी मनोरथ पूरे करते हैं.
सूर्य का तंत्रोक्त मंत्र
“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य: ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः