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कांग्रेस व सपा के मध्य जुबानी जंग थम गई है और दोनों दलों के बीच तल्खी खत्म नहीं हुई है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों अलग अलग इलेक्शन लड़ रही है। ऐसे में संबंधों में आई तल्खी का खामियाजा समाजवादी पार्टी से ज्यादा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।

राज्य में गठबंधन नहीं करने से समाजवादी पार्टी कांग्रेस से बहुत खफा है। सपा लगभग तीन दर्जन सीट पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। पार्टी कुछ और सीट पर उम्मीदवार उतार सकती है। इसके साथ सपा इस बार अधिक से अधिक सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी आक्रामकता के साथ चुनाव प्रचार करने की भी तैयारी में है।

MP की 185 किलोमीटर लंबी सीमा उत्तर प्रदेश से लगती है। इसके साथ प्रदेश में यादव वोटरों की संख्या भी 12 से 14 फीसदी तक है। ऐसे में यूपी से सटे मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में सपा का असर रहा है। हालांकि बीते कुछ इलेक्शन में सपा का प्रदर्शन कमजोर हुआ है, परन्तु कई सीट पर अभी भी कांग्रेस के लिए मुश्किलें सपा खड़ी सकती है।

सियासी जानकार मानते हैं कि समाजवादी पार्टी के अलग चुनाव लड़ने से यूपी से सटी सीट पर कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। यूपी की तरह सपा मध्य प्रदेश में बहुत मजबूत नहीं है, पर वह कई सीट पर कांग्रेस को झटका दे सकती है। पार्टी चीफ अखिलेश जिस प्रकार अपनी नाराजगी जता रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि वह अपनी ताकत दिखाने का पूरा जोर लगाएंगे।
 

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