छात्रों को आंदोलन से जोड़ने के लिए किसान मोर्चा ने बनाई ये रणनीति, LAU से होगी शुरुआत

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राजनीतिक डेस्क । केंद्र सरकार के तमाम दबावों और उपेक्षाओं के बावजूद कृषि कानूनों के खिलाफ किसान डटे हैं। किसान आंदोलन को देश के हर तबके का समर्थन मिल रहा है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अब छात्रों – युवाओं को आंदोलन से जोड़ने और उनसे कृषि काूननों पर चर्चा करने का निर्णय लिया है। इसके लिए किसान नेता देश के Agricultural University में जाएंगे। इस कार्यक्रम की शुरुआत तीन अप्रैल को Ludhiana Agricultural University से होगी।

कुंडली बॉर्डर पर मीडिया से मुखातिब संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख डा. दर्शनपाल ने कहा कि किसान पिछले चार महीनों से कम से कम समर्थन मूल्य लेने के लिए दिल्ली के बॉर्डर पर संघर्ष कर रहे हैं। किसानों का यह आंदोलन अब पूरे देश में फैल चूका है। अब इस जन आंदोलन की तपिस से मोदी सरकार को किसानों की जायज मांगे माननी ही पड़ेंगी।

दर्शनपाल ने कहा कि आंदोलन को मजबूत करने के लिए अब किसान नेता कृषि विश्वविद्यालयों में पहुंचेंगे और छात्रों व युवाओं के साथ कृषि कानूनों पर चर्चा करेंगे। इसकी शुरुआत तीन अप्रैल को Ludhiana Agricultural University से होगी। इसके बाद हरियाणा समेत देश के अन्य Agricultural University में भी इसी तरह का कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।

दर्शनपाल ने बताया कि देश के कई बड़े लेखकों ने अपनी किताबों में नए कानून किसानों के बारे में लिखा है। सरदार जोगिंद्र सिंह तूर ने अपनी किताब में साफ तौर पर कहा है कि ये कानून किस तरह से किसानों को कर्जदार और कंगाल बना देंगे। उन्होंने कहा कि तीन काले कानून जहां-जहां लागू हुए हैं, वहां के उदाहरण डराने वाले हैं। मध्यप्रदेश में नकली व्यापारी फसल खरीद कर नकली चेक दे गए और वे चेक बाउंस हो गए। इस तरह के मामले देश में बढ़ेंगे।

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