बीते काफी महीनों से पाकिस्तान अपने घर में ही आतंकी हमलों से जूझ रहा है। ग्वादर पोर्ट पर हमले के बाद बलूचिस्तान में आतंकी हमला हुआ है। ऑटोमैटिक हथियारों और हथगोलों से लैस आतंकवादियों ने नौसेना स्टेशन पीएनएस पर हमला किया। स्टेशन पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने जवाबी फायरिंग की और आतंकियों को मार गिराया। इस हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी यानी की बीएलए ने ली है।
अब आपको बताते हैं कौन है बीएलए संगठन और क्यों इसने पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा है। किस्सा भारत पाकिस्तान के बंटवारे से शुरू होता है। 1947 में भारत विभाजित होता है और पाकिस्तान का जन्म होता है। दोनों मुल्कों में कई रियासतें विलय करती हैं। बलूचिस्तान पाकिस्तान के हिस्से में था, लिहाजा पाकिस्तान ने उस पर अपना दावा पेश किया। हालांकि बलूचिस्तानी लोग मानते हैं कि भारत पाकिस्तान बंटवारे के वक्त उन्हें जबरन पाकिस्तान में मिलाया गया, जबकि वह एक अलग देश चाहते थे। उसी वक्त बलूचियों का पाकिस्तानी सरकार और वहां की सेना के साथ अनबन शुरू हो जाती है, जो आज भी बरकरार है।
70 के दशक में हुई BLA की स्थापना
मौजूदा वक्त में बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वाले फिलहाल कई अलगाववादी संगठन एक्टिव हैं। इनमें सबसे पुराने और घातक संगठनों में एक है बीएलए यानी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी। ये संगठन 1970 के दशक की शुरुआत में वजूद में आया। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार के समय ही बलूचों ने हथियारबंद बगावत शुरू कर दी थी। लेकिन सैन्य तानाशाह जिया उल हक के सत्ता पर काबिज होने के बाद बलूच नेताओं से बातचीत शुरू हुई और इसका नतीजा यह निकला कि हथियारबंद बगावत के खात्मे के बाद बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी भी गायब हो गई।
सन 2000 में करीब दो दशक के बाद बीएलए फिर वजूद में आता है। कुछ जानकारों का मानना है कि बीएलए की आधिकारिक स्थापना इसी साल हुई। अब यह पूरी तरह से हथियारबंद था। साल दो हज़ार से ही संगठन ने बलूचिस्तान के कई इलाकों में सरकारी प्रतिष्ठानों और सुरक्षा बलों पर हमले का सिलसिला शुरू किया। ये संगठन बंटवारे को लेकर जिन्ना से खासा नाराज रहता था। साल दो हज़ार 13 में बीएलए ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के घर पर रॉकेट हमले और रेड की जिम्मेदारी ली। संगठन ने जिन्ना के आवास पर लगे पाकिस्तान के झंडे को भी बिल्ले ध्वज से बदल दिया था।
संगठन में ज्यादातर मैरी और बुगती जनजाति के लोग शामिल हैं और यह क्षेत्रीय स्वायत्तता के लिए पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं। सरदार अकबर खान बुगती बलूचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री थे। उन्हें बीएलए के सबसे वरिष्ठ लोगों में से एक माना जाता था। 26 अगस्त 2 हज़ार छह को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में उनकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद अधिकारियों की तरफ से नवाब खैर बख्श मिरी के बेटे नवाबजादा मिरी को इसका मुखिया बनाया गया।
आज भी जारी है बीएलए का संघर्ष
नवंबर 2 हज़ार 7 में बाला मिरी की मौत की खबर आई। इसी साल पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को चरमपंथी संगठनों की सूची में शामिल किया था। यह समूह बलूचिस्तान को विदेशी प्रभाव खासतौर से चीन और पाकिस्तानी सरकार से निजात दिलाना चाहता है। पीएलए का मानना है कि बलूचिस्तान के संसाधनों पर पहला हक उनका है। कुछ इस तरह से बलूचिस्तान का पाकिस्तानी सरकार और वहां की सेना के साथ संघर्ष शुरू हुआ, जो आज भी जारी है।
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