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Kolkata Rape Case: कोलकाता के सियालदह कोर्ट ने बीते कल को संजय रॉय से जुड़ी एक अहम सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के जांच अधिकारी और वकील की गैर-मौजूदगी पर गंभीर असंतोष जताया। संजय रॉय कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मुख्य संदिग्ध हैं। इस मामले ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया है, मगर इस मामले में विवाद तब और बढ़ गया जब सीबीआई के एक वकील लगभग एक घंटे देरी से कोर्ट पहुंचे।

देरी पर अदालत की निराशा

रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने सीबीआई की तत्परता की कमी पर स्पष्ट नाराजगी जताई, जिसमें कहा गया कि प्रमुख कर्मियों की गैर-मौजूदगी जांच एजेंसी के "सुस्त दृष्टिकोण" को दर्शाती है। पीठासीन न्यायाधीश, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पामेला गुप्ता ने देरी के जवाब में सख्त टिप्पणी की, "क्या मैं संजय रॉय को जमानत दे दूं?"

अदालत की कार्यवाही तब बाधित हुई जब सीबीआई के एक अधिकारी ने शाम 4:10 बजे मजिस्ट्रेट को सूचित किया कि सरकारी वकील दीपक पोरिया देरी से आ रहे हैं। मजिस्ट्रेट गुप्ता ने अफसर को पोरिया को बुलाने का निर्देश दिया और निराशा व्यक्त करते हुए कहा, "अभी 4:20 बजे रहे हैं। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।"

पोरिया आखिरकार 50 मिनट देरी से शाम 5:00 बजे पहुंचे। देरी से पेश होने के बावजूद, उन्होंने बिना कोई खास कारण बताए संजय रॉय की जमानत याचिका का विरोध किया। सुनवाई के बाद, अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी और रॉय को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जिससे उनकी हिरासत 20 सितंबर तक सीबीआई की निगरानी में बढ़ गई।

जमानत के लिए बचाव पक्ष का तर्क

रॉय की बचाव पक्ष की वकील कविता सरकार ने ज़मानत के लिए दलील दी और इस बात पर ज़ोर दिया कि रॉय का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और सीबीआई ने अभी तक उनके विरूद्ध कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया है। सरकार ने ये भी सवाल उठाया कि सीबीआई का प्रतिनिधित्व उस वकील द्वारा क्यों नहीं किया गया जो 23 अगस्त को पिछली सुनवाई में मौजूद था।

इन तर्कों के बावजूद कोर्ट ने अभियोजन पक्ष का पक्ष लिया तथा जांच की चल रही प्रकृति और इसमें शामिल गंभीर आरोपों का हवाला देते हुए रॉय की जमानत देने से मना कर दिया।

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