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कुशीनगर। कालाजार बीमारी की पहचान, जांच और उपचार के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कालाजार (Kala-azar ) चैंपियंस की बैठक सेवरही ब्लाॅक के बेदूपार गांव में आयोजित की गयी। बैठक में कालाजार (Kala-azar )  चैंपियंस ने न केवल अपने अनुभवों को साझा किया बल्कि कालाजार से बचाव की जानकारी भी हासिल की। सर्व सम्मति से शिवशंकर कालाजार मरीज सहायता समूह भी गठित किया गया।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च ( सीफार) संस्था के सहयोग से कालाजार रोग से बचाव और उपचार विषय पर आयोजित बैठक में सबसे पहले कालाजार चैंपियंस ने आपस में अपने-अपने अनुभवों को साझा किया। बाद में लोगों को कालाजार (Kala-azar ) के लक्षण, जांच और उपचार के बारे में विस्तार से बताया गया। सीफार संस्था के जिला समन्वयक नीतिश गोविन्द राव ने बताया कि कालाजार एक संक्रामक रोग है जो बालू मक्खी के काटने से होता है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती हैं। इसके काटने से लोग बीमार हो जाते हैं। उन्हें बुखार होता है जो रूक-रूक कर चढ़ता उतरता है। पेट फूल जाता है।

इसके रोकथाम के लिए सरकार द्वारा साल में दो बार कालाजार (Kala-azar ) प्रभावित गांवों में घरों के अंदर छिड़काव कराया जाता है। कालाजार रोगियों की जांच और इलाज सरकारी अस्पताल पर निःशुल्क है। कालाजार रोगी को पारिश्रमिक क्षति के रूप में 500 रुपये तथा चमड़ी कालाजार रोगी को 4000 रूपये दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि समय-समय पर कालाजार के बारे में विस्तार से जानकारी देने, बीमारी की रोकथाम, पीड़ित लोगों को सरकारी और सामाजिक सुविधाओं का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से शिवशंकर कालाजार पेशेंट सपोर्टेड ग्रुप बनाया गया है, जिसमें आठ कालाजार चैंपियंस के नाम शामिल हैं। बैठक में सीफार के ब्लाॅक समन्वयक सर्वेश कुशवाहा के अलावा आशा कार्यकर्ता मंशा देवी भी मौजूद रहीं।(Kala-azar )

चैंपियन रामचंद्र यादव (51) ने बताया कि वह अप्रैल 2021 में हल्के बुखार से पीड़ित हुए तो बुखार को अनदेखी करके काम करते रहे। धीरे-धीरे शरीर कमजोर होने लगी। काम करने पर थकावट महसूस होने लगा। भूख भी कम लगने लगे। ऐसी स्थिति देखकर वह सिसवा बाजार, कुचाए कोट, बिहार और तमकूही के कई चिकित्सकों को दिखाया। बीमारी पकड़ में नहीं आई।(Kala-azar )

उसी दौरान उनके पड़ोसी और चचेरे भाई ( जो पहले कालाजार के रोगी रहे) ने कुशीनगर जिला अस्पताल पर दिखाने की सलाह दी। जब जिला अस्पताल कुशीनगर जाकर जांच कराया तो कालाजार (Kala-azar )  की पुष्टि हुई। इलाज के लिए वहीं पर भर्ती हो गये। इलाज के बाद वह घर चले आए और अब वह पूरी तरह से ठीक हैं। एक साल से अधिक का समय बीत गया। दोबारा बीमारी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि जब भी किसी को कालाजार के लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल में जांच व इलाज कराएं। सरकारी अस्पताल में जांच व इलाज निःशुल्क होता है।

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