
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सहमति जताई कि लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence Update) में राज्य की एसआईटी की दिन-प्रतिदिन जांच की निगरानी के लिए उसकी पसंद के एक पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकता है, आपको बता दें कि हिंसा में 3 अक्टूबर को चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे।
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसआईटी जांच (Lakhimpur Kheri Violence Update) में निचले रैंक के पुलिस अधिकारियों के शामिल होने का मुद्दा भी उठाया और जांच दल में शामिल किए जाने के लिए उन आईपीएस अधिकारियों के नाम मांगे जो यूपी कैडर के हैं, लेकिन राज्य के मूल निवासी नहीं हैं। .
शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों के नामों पर भी विचार करना होगा
वहीँ आपको बता दें कि बुधवार को पीठ..जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं..ने कहा कि उसे संबंधित न्यायाधीश की सहमति लेनी होगी और सनसनीखेज मामले (Lakhimpur Kheri Violence Update) में जांच की निगरानी के लिए शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों के नामों पर भी विचार करना होगा और उसी की बात माननी होगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सहमति देते हुए,कहा कि…राज्य को शीर्ष अदालत द्वारा जांच (Lakhimpur Kheri Violence Update) की निगरानी के लिए..अपनी पसंद के पूर्व न्यायाधीश की नियुक्ति से कोई समस्या नहीं है, लेकिन यह बात ध्यान में नहीं रखनी चाहिए कि वह उत्तर प्रदेश का मूल निवासी नहीं होना चाहिए। संबंधित व्यक्ति एक प्रासंगिक कारक है।
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