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Prayagraj। परमहंस योगानंद की महासमाधि अवसर पर क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान के आध्यात्मिक परिसर में शुक्रवार को दो दिवसीय विशेष महासमाधि समारोह शुरू हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अचानक आध्यात्मिक परिसर में पहुंचे और उन्होंने महासमाधि समारोह का दीप जलाकर शुभारंभ किया। योगी बताते चलेंकि कथामृत" परमहंस योगानंद योगी कथामृत" नामक सुप्रिसिद्ध सद्ग्रथ के लेखक हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शुक्रवार को दोपहर तीन बजे अचानक क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान के आध्यात्मिक परिसर में पहुंचे। महासमाधि समारोह का दीप जलाकर शुभारंभ करने के पश्चात अखलेश यादव ने क्रियायोग आश्रम के पावन वटवृक्ष के नीचे परमहंस योगानंद के चित्र के सामने प्रार्थना भी की।

इस दौरान पूर्व सीएम ने स्वामी योगी सत्यम से आश्रम के विविध सेवा प्रकल्पों के बारे में जानकारी ली। इस दौरान क्रियायोग वैज्ञानिक स्वामी योगी सत्यम ने ज्ञानावतार लाहिड़ी महाशय की ज्ञान निधि से देश -विदेश के अनुयायियों को परिचित कराते हुए कहा कि सत्य, अहिंसा और प्रेम का अभ्युदय सिर्फ क्रियायोग अभ्यास से ही संभव है।

परमहंस योगानंद के बारे में बताते हुए स्वामी योगी सत्यम ने कहा कि सात मार्च 1952 को लॉस एंजेलिस के बिल्टमोर होटल में आयोजित प्रतिभोज में 50 देशों के राजदूतों के समक्ष परमहंस योगानंद ने भारत के नाम अपना संदेश दिया था। सन्देश देते हुए परमहंस योगानंद जी ने महासमाधि में प्रवेश किया था। महासमाधि के उपरांत 20 दिन तक उनके शरीर में किसी प्रकार का विकार नहीं आया था। उनकी त्वचा के रंग में किसी प्रकार का परिवर्तन हुआ था, न शरीर तंतुओं में शुष्कता ही आई थी। यह दुनिया के लिए आश्चर्यजनक था। 
 

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