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भारत में फिल्म इंडस्ट्री बहुत बड़ी है। फिल्मों का भविष्य दर्शकों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। 1951 और 1995 के बीच, एक ही शीर्षक की 4 अलग-अलग फ़िल्में रिलीज़ हुईं। इनमें से सिर्फ एक ने इतिहास रचा जबकि बाकी तीन सुपरफ्लॉप रहीं। आइये देखते हैं वो कौन सी टाइटल वाली मूवी थी जिसे सिर्फ एक सफलता मिली।

मूवी 'बाजी' 1 जुलाई 1951 को रिलीज हुई थी। ये मूवी क्राइम ड्रामा पर आधारित थी। फिल्म का निर्देशन गुरुदत्त ने किया था. देवानंद के नवकेतन फिल्म प्रोडक्शन हाउस की यह दूसरी फिल्म थी। मूवी में देवानंद खुद मुख्य अभिनेता थे। ये वही मूवी है जिसने देवानंद की संवाद अदायगी की रैपिड फायर शैली को लोकप्रिय बनाया। इस मूवी ने बॉक्स ऑफिस पर तूफान मचा दिया था. ये 'आवारा' के बाद 1951 की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी।

दूसरी बार ये मूवी 'बाजी' नाम से ही 1 नवंबर 1968 को रिलीज हुई थी। यह एक थ्रिलर फिल्म थी. फिल्म का निर्देशन मोनी भट्टाचार्य ने किया था। इसमें धर्मेंद्र, वहीदा रहमान, जॉनी वॉकर, हेलेन ने भूमिकाएं निभाईं। संगीत कल्याणजी आनंदजी ने दिया था। लेकिन ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।

तीसरी बार 1984 में 'बाजी' नाम से एक और फिल्म आई। इसमें धर्मेंद्र मुख्य अभिनेता थे. राज एन सिप्पी द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक्शन पर आधारित थी। फिल्म में धर्मेंद्र, मिथुन, रेखा, रंजीता के साथ शक्ति कपूर ने भूमिकाएं निभाईं। यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रही।

साल 1995 में ये मूवी एक बार फिर 'बाजी' नाम से रिलीज हुई। इस फिल्म में बॉलीवुड के परफेक्शनिस्ट आमिर खान मुख्य भूमिका में थे. यह फिल्म दर्शकों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई और बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई। फिल्म का निर्देशन आशितोष गोवारिकर ने किया था। आमिर खान के साथ मुख्य भूमिका में ममता कुलकर्णी नजर आई थीं।

कुल मिलाकर फिल्म 'बाजी' में देवानंद ने जो जादू किया उसका मुकाबला कोई और नहीं कर सका। साथ ही देव आनंद ने अपने संघर्ष के दौरान गुरुदत्त से किये गये वादे को निभाते हुए उन्हें इस मूवी का निर्देशन करने को दिया।

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