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Mahakumbh 2025: प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाला महाकुंभ सोमवार को शुरू हुआ और 26 फरवरी तक चलेगा। आधिकारिक अनुमान के अनुसार पहले दिन करीब 1.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। सीएम ने बताया कि मकर संक्रांति की शाम तक करीब 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने पहले 'अमृत स्नान' के दिन संगम में स्नान किया ।

कुंभ के दौरान किसी भी वक्त संगम में डुबकी लगाना शुभ माना जाता है, मगर 'अमृत स्नान' का विशेष महत्व है। माना जाता है कि 'अमृत स्नान' के दिन स्नान करने से कई गुना आध्यात्मिक लाभ मिलता है। अमृत स्नान केवल अहम दिनों पर ही किया जाता है। इस साल का पहला 'अमृत स्नान' 14 जनवरी को मकर संक्रांति के मौके पर हुआ। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में चला गया था। यह बदलाव मकर संक्रांति के उत्सव का प्रतीक है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है।

महाकुंभ का आयोजन सूर्य जैसे ग्रहों की स्थिति के आधार पर किया जाता है और इस दौरान किए जाने वाले स्नान को अमृत स्नान कहा जाता है। अमृत स्नान के दिन नागा साधु-संत भव्य जुलूस के साथ स्नान के लिए निकलते हैं। इस स्नान को कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण माना जाता है और इसके लिए खास इंतजाम किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी अमृत स्नान के दौरान डुबकी लगाता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। आइए अब जानते हैं महाकुंभ के दूसरे और उसके बाद के अमृत स्नान की तिथियां।

महाकुंभ 2025: दूसरा अमृत स्नान

महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के साथ होगा, जिसे माघी अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए जुटेंगे। धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है, जिससे जल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है। इसलिए इस दिन महाकुंभ में अमृत स्नान का खास महत्व है।

महाकुंभ 2025: तीसरा अमृत स्नान

महाकुंभ का तीसरा और आखिरी अमृत स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन होगा। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन पवित्र नदी में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है।

महाकुंभ 2025: पवित्र स्नान के लिए अन्य अहम तिथियां

12 फरवरी: माघी पूर्णिमा
26 फरवरी: महाशिवरात्रि

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