हिन्दू धर्म में महा शिवरात्रि (Mahashivratri) का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इस साल महाशिवरात्रि 1 मार्च दिन मंगलवार को पड़ रही है। मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल अर्पित नहीं किया जाता है। आइये जानते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की पूजा में किन चीजों को अर्पित करना वर्जित होता हैं।
भगवान शिव को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को सिंदूर अतिप्रिय होता हैं और उनकी पूजा में सिंदूर जरूर चढ़ाया जाता है। कहते हैं कि सिंदूर महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए लगाती हैं और भगवान शिव संहारक हैं। यही वजह हैं कि भगवान शिव को सिंदूर की बजाए चंदन लगाना चाहिए। (Mahashivratri)
भगवान भोलेनाथ को कभी भी हल्दी अर्पित नहीं करनी चाहिए। शास्त्रो में बताया गया हैं कि शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित है। ऐसे में शिव जी को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। (Mahashivratri)
हिंदू में पंचांग में तुलसी का विशेष महत्व होता है। तुलसी दल का इस्तेमाल सभी शुभ कार्यों में प्रयोग किया जाता है लेकिन भगवान शिव को तुलसी अर्पित करना वर्जित माना जाता हैं । धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव को तुलसी अर्पित करने से उनकी पूजा पूर्ण नहीं होती है और पूजा का शुभ फल भी नहीं मिलता। (Mahashivratri)
मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा में शंख नहीं बजाना चाहिए । पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के एक असुर का वध किया था, जो भगवान विष्णु का बेहद प्रिय भक्त था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है। यही वजह हैं की भगवान शिव की पूजा में शंख नहीं चढ़ाई जाती। (Mahashivratri)
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