25 जुलाई दिन रविवार से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है। यह माह भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस पूरे महीने भगवान शिव आराधना की जाती है। आज सावन का पहला सोमवार है। सावन के सोमवार का भी विशेष महत्व है। इस दिन लोग व्रत रहकर भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं। मान्यता है कि सावन का सोमवार व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हालांकि बहुत कम लोगों को पता है कि सावन के सोमवार के बराबर ही मंगलवार का महत्व है। माना जाता है कि सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat 2021) किया जाता है। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याएं खत्म होती हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस साल सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 27 जुलाई यानी कल पड़ रहा है।
मंगला गौरी व्रत को अधिकतर सुहागिनें रखती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पति को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को शुरू करने के बाद कम से कम पांच तक रखा जाता है। हर साल सावन में 4 या 5 मंगलवार पड़ते हैं। सावन के आखिरी मंगला गौरी व्रत को उद्यापन करने का विधान है।
मंगला गौरी व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठें।
दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर साफ-सुधरे वस्त्र धारण करें।
इस दिन एक ही बार अन्न ग्रहण करके पूरे दिन माता पार्वतीकी पूजा करें।
चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां मंगला यानी माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी आराधना करें ।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में धर्मपाल नामक एक सेठ था। वह भोलेनाथ का सच्चा भक्त था। उसके पैसों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उसके कोई पुत्र न होने के कारण वह परेशान रहता था। कुछ समय बाद महादेव की कृपा से उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। लेकिन ये पहले से तय था कि 16 वर्ष की अवस्था में उस बच्चे की सांप के काटने से मृत्यु हो जाएगी।
सेठ धर्मपाल ने अपने बेटे की शादी 16 वर्ष की अवस्था के पहले ही कर दी। जिस युवती से उसकी शादी हुई. वो पहले से मंगला गौरी का व्रत करती थी। व्रत के फल स्वरूप उस महिला की पुत्री के जीवन में कभी वैधव्य दुख नहीं आ सकता था. मंगला गौरी के व्रत के प्रभाव से धर्मपाल के पुत्र के सिर से उसकी मृत्यु का साया हट गया और उसकी आयु 100 वर्ष हो गई। इसके बाद दोनों पति पत्नी ने खुशी-खुशी पूरा जीवन व्यतीत किया।