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Up kiran,Digital Desk : दिल्ली और आसपास के इलाकों में जैसे-जैसे मौसम बदल रहा है और गुलाबी ठंड दस्तक दे रही है, एक डर ने भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं—वो है 'डेंगू'। अक्सर हम सोचते हैं कि बारिश गई तो मच्छर गए, लेकिन अक्टूबर-नवंबर का महीना ही मच्छरों के लिए सबसे 'फेवरेट' टाइम होता है। पिछले कुछ दिनों में अस्पतालों में मरीजों की कतारें लंबी हुई हैं।

डॉक्टर्स की मानें तो इसे 'सामान्य वायरल' समझने की गलती आप पर भारी पड़ सकती है। अगर आप भी घर पर पेरासिटामोल लेकर ठीक होने का इंतज़ार कर रहे हैं, तो ज़रा ठहरिए! पहले जान लीजिए कि यह साधारण बुखार है या डेंगू।

क्यों बढ़ जाता है अभी खतरा?

हम अक्सर टायरों, टूटे बर्तनों या कूलर में पानी छोड़ देते हैं। हमें लगता है मच्छर तो गंदे पानी में होते हैं, लेकिन डेंगू फैलाने वाला 'एडीज' मच्छर बड़ा शौकीन होता है—यह साफ़ और ठहरे हुए पानी में अंडे देता है। एक और ज़रूरी बात, डेंगू छूने से या साथ बैठने से नहीं फैलता। यह तभी होता है जब कोई संक्रमित मच्छर किसी बीमार व्यक्ति का खून पीने के बाद किसी स्वस्थ इंसान को काट ले।

शरीर टूटने लगे, तो हो जाएं अलर्ट (लक्षण)

मेदांता अस्पताल की डॉ. ज्योति वाधवानी बताती हैं कि इसे 'हड्डी तोड़ बुखार' यूँ ही नहीं कहा जाता। इसमें बुखार 104 डिग्री तक पहुंच सकता है। इसके साथ ही:

  1. सिर में तेज़ दर्द, ख़ासकर आँखों के ठीक पीछे।
  2. हड्डियों और मांसपेशियों में ऐसा दर्द जैसे कोई तोड़ रहा हो।
  3. कमजोरी इतनी कि बिस्तर से उठना मुश्किल हो जाए।
  4. गंभीर मामलों में मसूढ़ों या नाक से खून आना और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना।

अगर डेंगू हो जाए, तो थाली में क्या हो?

अक्सर लोग जबरदस्ती खाना खिलाते हैं, जो सही नहीं है। मरीज को वही दें जो आसानी से पच सके:

  1. क्या खाएं: मूंग दाल की खिचड़ी, दलिया या सूजी का उपमा। सबसे ज़रूरी है पानी की कमी न होने दें। नारियल पानी, ताजे फलों का जूस, पपीता, कीवी और अनार दें। कीवी और पपीता प्लेटलेट्स काउंट ठीक रखने में मदद करते हैं।
  2. क्या न खाएं: चाय-कॉफी का सेवन बिल्कुल बंद कर दें, क्योंकि यह डिहाइड्रेशन बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा, तला-भुना, मसालेदार या बासी खाना मरीज की हालत बिगाड़ सकता है।

घर पर देखभाल का 'गोल्डन रूल'

अगर मरीज का इलाज घर पर चल रहा है, तो उन्हें पूरा आराम (Bed Rest) करने दें। मच्छरदानी का इस्तेमाल ज़रूर करें ताकि घर के बाकी लोग सुरक्षित रहें। बिना डॉक्टर की सलाह के एस्पिरिन या ब्रुफेन जैसी दर्द निवारक दवाइयां भूलकर भी न दें, इससे ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है।

मरीज की हिम्मत बनाए रखें। अगर खान-पान और दवा सही समय पर दी जाए, तो एक हफ्ते के अंदर रिकवरी हो जाती है।