पाकिस्तान के उच्च न्यायालय ने ब्रिटिश काल के राजद्रोह अधिनियम को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने गुरुवार को देशद्रोह कानून को रद्द करते हुए कहा कि यह कानून संविधान के विरूद्ध है. इस बीच इस एक्ट के अंतर्गत केंद्र और प्रदेश सरकारों के विरूद्ध बोलने पर रोक लगा दी गई। पाकिस्तान में यदि कोई व्यक्ति केंद्र या प्रांतीय सरकारों की आलोचना करता था तो उसे इस कानून के अंतर्गत जेल भेजा जाता था और सजा दी जाती थी।
हाई कोर्ट ने कहा है कि यह कानून पूरी तरह से संविधान के विरूद्ध है, इसलिए इसे रद्द किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लाहौर हाई कोर्ट के जज शाहिद करीम ने देशद्रोह से जुड़ी पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की धारा 124-ए को रद्द कर दिया। जज करीम ने देशद्रोह अधिनियम को कैंसिल करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
इस बीच पाकिस्तान में एक और बड़ा फेरबदल देखने को मिला। इसका मतलब यह है कि मुख्य न्यायाधीश की खुद की न्यायिक नोटिस लेने और संवैधानिक पीठ स्थापित करने की शक्ति को कम करने के लिए विधेयक पारित किया गया था। विपक्ष ने बिल के विरूद्ध जमकर नारेबाजी की, मगर गुरुवार को बिल पास हो गया। आपको बता दें कि भारत में जैसे लोग सरकार की नीतियों के खिलाफ खुलकर बोल सकते हैं, तो वहीं अब पाक में भी जनता सरकार का विरोध कर सकती है।
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