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रिपोर्ट- सौरभ चतुर्वेदी
अम्बेडकर नगर।। जैसा कि आज कल जिले में देखा जा रहा है कि सांसद व विधायक अपनी निधि को राहत कोष में दान देने की घोषणा करके जनामानस से वाहवाही लूट रहे हैं। विगत दिनों यह भी देखा गया कि अम्बेडकरनगर के कई विधायक घोषणायें तो मोटी रकम देने की कर दिए लेकिन उनके निधि खाते में रकम ही नही थी। गौर किया जाय इस बात पर कि क्या सांसद/विधायक निधि राहत कोष में देना जायज है।

आज इस बाबत यूपी किरण की टीम जब नगर के ही एक वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप कुमार मिश्र के पास यह सवाल लेकर पंहुची तो श्री मिश्र ने सेंटर फार कांस्टीट्यूशनल एण्ड सोशल रिफार्मर के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता के0एन0 त्रिपाठी की बात का हवाला देते हुए कहा कि देश की संचित निधि से मिलने वाली सांसद/ विधायक निधि पर सांसद और विधायक का कोई अधिकार नही होता।

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श्री मिश्र ने राष्ट्रीय अध्यक्ष त्रिपाठी के वक्तव्यों का भी स्पष्टीकरण करते हुए बताया कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए सांसद व मंत्रियों के वेतन से 30 फीसदी धनराशि राहत कोष में दान देने की प्रशंसा की साथ ही उन्होने कहा कि सांसद विधायक निधि को सहायता कोष में दिया जाना संविधान की भावना के विपरीत है। सांसदों विधायकों का ऐसा आचरण वैधानिक न होकर देशहित और संवैधानिक सिध्दान्तों का खुला उल्लंघन है।

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उन्होने कहा कि देश की संचित निधि से मिलने वाली सांसद विधायक निधि पर सांसदों अथवा विधायकों का कोई अधिकार नही होता, वह क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाला धन होता है ऐसे धन को उन्हे राहत कोष में दान देने का कोई भी अधिकार नही होता। यदि धनराशि जनहित के कार्यों में खर्च नही होती है तो वह संचित निधि वापस चली जाती है। जनहित के कार्यों में खर्च करने के बजाय उसे दान देने की घोषणा गैर संवैधानिक एवं अनैतिक है, ऐसे में सरकार को इस पर कठोर कदम उठाकर रोक लगानी चाहिए।

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इस प्रकरण को लेकर उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के एन त्रिपाठी द्वारा एक याचिका दायर की गयी है। ऐसे में सांसदों और विधायकों द्वारा राहत कोष में दी जाने वाली राशि संविधान के विरुद्ध है या संविधान सम्मत, इस बात का निर्णय अब उच्च न्यायालय को करना है।

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