Mysterious True Events of Christmas: The incident is of October 10, 1931, which remains an unsolved puzzle to this day .आज हम आपको बताऐंगे वो रहस्यमय सच्ची घटना जो क्रिसमस की दुःखद शाम को घटी थी। लेकिन उस खौफनाक शाम की चर्चा आज भी है आपको बतादें की, यह घटना इंग्लैंड की है। वह सन् 1614 की क्रिसमस की एक शाम थी। कड़ाके की ठंड के बावजूद वहां के निवासी अपने प्रिय त्योहार की तैयारियों में व्यस्त थे।
उसी धुंधली शाम को लंदन से सुदूर ब्रिस्टल गांव में बाल्ट परिवार भी खुशियां मना रहा था। उस परिवार में विलियम बाल्ट, उसकी पत्नी ऐनी और तीन बच्चे थे, जिनकी देखभाल करने के लिए एक वृद्ध नर्स भी थी। घर का नाम था आकेवले हॉल’। दक्षिणी इंग्लैंड में बसा ब्रिस्टल गांव ऊंची-ऊंची पहाड़ियों तथा घने जंगलों से घिरा हुआ था।
हालांकि बच्चे उस दिन बहुत खुश थे, परन्तु ऐनी दु:खी थी। कारण था कि विलियम उस दिन किसी काम से लंदन गया हुआ था। उसका इस पवित्र दिन भी घर में न होना, ऐनी को अखरने लगा।
ऐनी विलियम के खयालों में खोई हुई थी कि अचानक उसने विलियम को सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते देखा। विलियम तो उस समय लंदन में था इसलिए ऐनी को बहुत ही आश्चर्य हुआ। बच्चे भी उसे देखकर ‘पापा-पापा’ चिल्लाने लगे।
वह साया फिर तेजी से ऊपर वाले हॉल में घुस गया। उसका पीछा करते हुए जब ऐनी तथा बच्चे हॉल में गए तो वहां कोई भी नहीं था। बस विलियम का सिगार वहां अपने आप जल रहा था। अचानक पूरे घर में विलियम की चीख गूंजी। ठीक उसी समय चर्च से पांच बजे की घंटी बजी।
स्तब्ध सदस्य जब प्रार्थना हेतु नीचे उतरने के लिए सीढ़ियों के पास गए तो एक कोने में खून से सने हुए दो हाथों के छाप देखे। बच्चे डर के मारे रोने लगे। ऐनी भी डर गयी क्योंकि वह छाप विलियम के हाथों की थी तथा ताजे खून से बनी हुई थी।
उसी रात करीब दो बजे एक राज्य कर्मचारी ने हांफते हुए वहां आकर यह खबर दी-“मैडम, सर विलियम की आज करीब पांच बजे शाम को किसी ने हत्या कर दी। मृत्यु से पूर्व वे सिगार पी रहे थे। हत्या वाले कमरे में खून से सनी उनके हाथों की छाप भी पायी गयी है।”
इंग्लैंड में आज भी विलियम की इस अजीब मौत के रहस्य को कोई नहीं सुलझा पाया। वैज्ञानिक इसे अजीब करिश्मा मान कर खामोश हैं और विलियम के पारिवारिक लोग हैरान और परेशान हैं।
आज के वैज्ञानिक युग में कम लोग ही भूत-प्रेतों की घटनाओं पर विश्वास करेंगे किन्तु दिसम्बर 1974 को महाराष्ट्र विधान सभा में वहां के शहरी विकास मंत्री डॉक्टर रफीक जकारिया ने भूत समझे जाने वाले एक बाबू का समाचार देकर सदस्यों को आश्चर्यचकित कर दिया था।
डॉक्टर रफीक जकारिया ने दिसम्बर 1974 को विधान सभा में बी.ए. देशमुख के एक लिखित सवाल का जवाब देते हुए कहा कि दफ्तर में काम करने वाले एक सच्चे ईश्वर-भक्त अविवाहित बाबू हरिभाऊ का निधन दफ्तर में काम करते समय ही हो गया था। जब इस बाबू ने रियासत के दफ्तर में काम करना शुरू किया तो दफ्तर के अन्य कर्मचारी उसे ‘भूत” के रूप में देखने लगे।
जब तक वह बाबू दफ्तर में काम करता रहा, वहां का काम फौरन निपटता रहा। दफ्तर का कोई भी काम शेष नहीं रहता था। इतना ही नहीं जब तक वह बाबू दफ्तर में रहा, वहां का कोई भी कर्मचारी न तो कभी परेशानी में पड़ा तथा न ही उन पर कोई दैवी आपत्ति आयी।
डॉक्टर रफीक जकारिया ने विधान सभा में बताया कि दफ्तर के कर्मचारी भी ‘भूत’ बाबू को संतुष्ट रखते थे। उसको संतुष्ट करने के लिए प्रति साल श्रावण के महीने में रियासत के खर्च पर 1001 ब्राह्मणों को भोज दिया जाता था।
यह भोज ‘भूत’ बाबू की मृत्यु तक जारी रहा। इस भोज के लिए कुछ धन तो सरकारी खजाने से दिया जाता था तथा कुछ धन स्थानीय लोगों से चन्दे के रूप में लिया जाता था। ‘भूत’ बाबू की मृत्यु अक्तूबर 1974 में हुई। डॉक्टर रफीक के अनुसार ‘भूत’ बाबू की मृत्यु के बाद दफ्तर के कार्यों में काफी शिथिलता आ गयी थी।
घटना 10 अक्तूबर, 1931 की है। हंटिंगटम, न्यू जर्सी, अमेरिका में फुटबाल मैच की तैयारी चल रही थी। यह मैच अमेरिका की दो प्रसिद्ध टीमों के बीच होने जा रहा था तथा अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हरबर्ट क्लार्क हूवर इस मैच में एक दर्शक के रूप में शामिल हो रहे थे।
उन्हीं दिनों अमेरिका ने एक हवाई जहाज तैयार किया था, जिसका नाम था यू.एस. एस. अलक्रान। यह अमेरिकी विमान फुटबाल मैच के उद्घाटन समारोह के दौरान ही अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन करने वाला था। आम लोगों के मन में विमान को लेकर बहुत ही उत्सुकता थी।
अपने सार्वजनिक प्रदर्शन के दौरान अलक्रान को फुटबाल स्टेडियम के चारों तरफ चक्कर काटना था। यह बात लोग अखबारों के अलावा अन्य सूचना माध्यमों से भी जान चुके थे कि हवाई अड्डे से उड़ान भरकर यू.एस.एस. अलक्रान किस मार्ग से हंटिंगटम के फुटबाल स्टेडियम में पहुंचने वाला था। बहुत से लोग दूरबीन लेकर हवाई जहाज के आकाश पथ को निहारने लगे थे।
सबसे पहले जिस व्यक्ति ने दूरबीन से हवाई जहाज को देखा, वह था राबट ठेके। इसके बाद दूरबीन से अनेक व्यक्तियों ने आकाश में उड़ रहे हवाई जहाज को देखा, जो फुटबाल स्टेडियम की तरफ आ रहा था। परन्तु अचानक कुछ ऐसा घटा कि आंखों पर दूरबीन लगाये हवाई जहाज को देख रहे व्यक्तियों का सारा मजा आतंक में बदल गया।
उन्होंने देखा कि हवाई जहाज में आग लग गयी है तथा वह दुर्घटनाग्रस्त होकर नीचे गिर रहा है। दूरबीन से इस दृश्य को देख रहे व्यक्तियों में अफरा-तफरी मच गयी। उन्होंने शोर मचाया तथा इसकी जानकारी अधिकारियों को दी। जल्दी ही दुर्घटनाग्रस्त हवाई जहाज के मलबे की तलाश आरम्भ हो गयी।
जिस इलाके में हवाई जहाज को गिरते हुए देखा गया था, वहां का चप्पा-चप्पा छाना गया, पर कहीं भी हवाई जहाज के मलबे का नामोनिशान नहीं मिला। दुर्घटना के प्रत्यक्षदर्शी तथा खोजी दल उलझन में पड़ गए। इस बीच उन्हें खयाल आया कि जहां से हवाई जहाज ने अपनी उड़ान भरी थी, वहां के अधिकारियों को दुर्घटना की सूचना देकर उनसे भी सहायता ली जाये।
जब अलक्रान हवाई अड्डे के अधिकारियों से संपर्क बनाया गया तो सारा घटनाक्रम एक जटिल और अनसुलझा रहस्य बन गया। अलक्रान हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बताया कि जिस हवाई जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने की बात कही जा रही है, उसने तो अभी तक उड़ान ही नहीं भरी। उड़ान में विलंब की वजह कुछ तकनीकी खराबी थी।
हवाई अड्डे के अधिकारियों का कहना वास्तव में सही था। यू.एस.एस. अलक्रान नामक विमान हवाई अड्डे पर ही खड़ा था। फिर वह क्या था जिसे इतने सारे लोगों ने हवाई जहाज को आग की लपटों में डूबा दुर्घटनाग्रस्त होते हुए देखा था? वह कौन-सा जहाज था? अगर वास्तव में कोई हवाई जहाज गिरा था तो उसका मलबा कहां गया? कहीं ऐसा तो नहीं कि हवाई जहाज की दुर्घटना लोगों का दृष्टिभ्रम था? यह सभी सवाल आज भी अनसुलझी पहेली बने हुए हैं।
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