NASA: Perseverance Rover ने खींची मंगल ग्रह की तस्वीर, दिखा धूल भरी आंधियों वाला दृश्य

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नासा के परसिवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह में फैले एक बंजर भूमि के एक हिस्से की चट्टानों की एक बेहद ही आश्चर्यजनक तस्वीरें कैमरे में कैद की है। इस तस्वीर को देखकर वैज्ञानिक भी चकित हो रहे हैं। इन तस्वीरों में कुछ चट्टानें रेत से ढकी हुई नजर आ रही हैं। तस्वीरों को देखकर ऐसा लग रहा है कि रोवर ने जब तस्वीर को कैप्चर किया उससे ठीक पहले यहां काफी हवा चली थी। नासा से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तस्वीर को 24 से 30 अप्रैल के लिए “इमेज ऑफ द वीक” के रूप में जनता द्वारा वोट दिया गया था। इसे परसिवरेंस के राइट मास्टकैम-जेड ( Mastcam-Z) कैमरे से खींचा था।

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चकित करने वाली तस्वीर

नासा के परसिवरेंस रोवर ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया, “मैं ड्राइव करते हुए कुछ आकस्मिक ज़ेन आर्ट बना रहा हूं, मंगल बंजर हो सकता है, लेकिन इसमें एक तय आकर्षण है। ” नासा कि बयान के अनुसार इन तस्वीर को 24 से 30 अप्रैल के लिए “इमेज ऑफ द वीक” के रूप में जनता द्वारा वोट दिया गया था।

एडवांस्ड कैमरे से ली गई हैं तस्वीर

बता दें कि मास्टकैम-जेड, रोवर पर लगाए गए कैमरों की एक जोड़ी, रंगीन तस्वीर और वीडियो, 3D स्टीरियो तस्वीर लेने में सक्षम है। इस कैमरे में एक ताकतवर ज़ूम लेंस है। इन कैमरों को रोवर में एक-दूसरे के बगल में रखा गया है और एक ही दिशा में इंगित किया गया है जो मानव आंखों के समान 3-डी व्यू प्रदान करता है। वहीं कई ट्विटर यूजर्स अब इस बारे में सवाल कर रहे हैं। एक यूजर्स ने मंगल ग्रह पर बेहद ही रेतीले वातावरण का जिक्र किया है और पूछा है कि क्या यहां भी हवा है।

क्या मंगल ग्रह पर चलती है धूल भरी आंधियां?

नासा ने बताया कि मंगल पर धूल भरी आंधियां भी चलती हैं। खासकर दक्षिणी गोलार्ध में बसंत और गर्मियों कि सीजन में। ये तस्वीरें वैज्ञानिकों को एक अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं कि धूल के कण कैसे और किस बल से चलते हैं और क्या ये कण वहां कि वातावरण को भर सकते हैं या फिर मंगल ग्रह पर मौजूद उपकरण को प्रभावित कर सकते हैं। बता दें कि इस साल जनवरी में एक बड़े धूल भरे तूफान ने मंगल के दक्षिणी गोलार्ध को कवर किया, जिससे मंगल की सतह पर नासा की कुछ जांच रुक गई थी। नासा का कहना है कि ये रोवर भविष्य के मानव मिशन के दौरान उन्हें धरती पर वापस भेजने के लिए मिट्टी के नमूने एकत्र कर रहा है ताकि वैज्ञानिक उनका अध्ययन कर सकें।

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