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Up Kiran, Digital Desk: 7 मई की रात भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंक के गढ़ पर जोरदार हमला किया था। मिराज लड़ाकू विमानों द्वारा की गई इस कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य केंद्र – मरकज तैयबा, जो पंजाब के मुरीदके में स्थित था, पूरी तरह नष्ट हो गया। यहां आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता था और हथियारों का बड़ा जखीरा जमा था। अब वही ढहाया गया ढांचा फिर से खड़ा किया जा रहा है।

आतंक के खंडहर में लौट रही जान

भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, पाकिस्तान में मरकज तैयबा का पुनर्निर्माण तेज़ी से जारी है। पिछले महीने कई भारी मशीनें मुरीदके भेजी गईं। 4 सितंबर को उम्म उल कुरा नामक पीले रंग की इमारत को गिराया गया और तीन दिन बाद एक लाल इमारत भी ढहा दी गई। इसका उद्देश्य आतंकियों के लिए नए सिरे से आधुनिक परिसर तैयार करना है।

नया मुख्यालय, पुरानी साजिशें

सूत्रों का कहना है कि 5 फरवरी 2026 को कश्मीर एकजुटता दिवस के मौके पर इस नवनिर्मित परिसर का उद्घाटन किया जा सकता है। इस तारीख से पहले निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके बाद यहां आतंकियों की ब्रेनवॉशिंग, ट्रेनिंग और योजना बनाने जैसे काम फिर से शुरू हो सकते हैं।

कौन-कौन है इस निर्माण में शामिल?

मरकज तैयबा के निदेशक मौलाना अबू जार को इस परियोजना की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं उस्ताद उल मुजाहिद्दीन भी इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। संचालन की निगरानी की जिम्मेदारी युनूस बुखारी को दी गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे कार्य में पाकिस्तान सरकार की भी सहभागिता सामने आ रही है।

सरकारी फंड से पोषण पा रहा आतंक

अगस्त महीने में पाकिस्तानी सरकार द्वारा लश्कर-ए-तैयबा को 4 करोड़ रुपये की मदद दिए जाने की जानकारी मिली है। बताया जा रहा है कि मरकज तैयबा के नए परिसर को पूरी तरह तैयार करने के लिए लगभग 15 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। इससे पाकिस्तान का दोहरा चरित्र उजागर होता है – एक तरफ आतंक के खिलाफ दिखावटी लड़ाई, दूसरी ओर आतंक संगठनों को आर्थिक सहयोग।

बाढ़ पीड़ितों के नाम पर जुटाया जा रहा धन

पाकिस्तान में इस समय कई इलाके बाढ़ से जूझ रहे हैं। ऐसे समय में लश्कर-ए-तैयबा लोगों की मदद के नाम पर बड़े पैमाने पर फंड इकट्ठा कर रहा है। लेकिन ये राहत सामग्री पीड़ितों तक नहीं पहुंच रही। खुफिया जानकारी बताती है कि अधिकांश फंड सीधे मुरीदके में मरकज के निर्माण में इस्तेमाल किया जा रहा है।