img

Up Kiran, Digital Desk: सोमवार को कनाडा के संघीय चुनाव में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी की जीत के बाद भारत और कनाडा के रिश्तों में सुधार की उम्मीदें फिर से जागी हैं। इस चुनाव में लिबरल पार्टी ने कंजरवेटिव पार्टी से ज्यादा सीटें जीतने का अनुमान जताया है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि वे पूर्ण बहुमत हासिल करेंगे या छोटी पार्टियों के समर्थन पर निर्भर रहेंगे। इस लेख में हम देखेंगे कि कार्नी के प्रधानमंत्री बनने से भारत-कनाडा संबंधों में क्या बदलाव आ सकते हैं और इससे दोनों देशों के बीच क्या संभावनाएं बन सकती हैं।

कार्नी का भारत के साथ संबंधों को पुनः स्थापित करने का इरादा

प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भारत के साथ कनाडा के संबंधों को "अत्यंत महत्वपूर्ण" बताया है और इसे नए सिरे से स्थापित करने की बात की है। वाई मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कार्नी ने कहा "कनाडा-भारत संबंध कई स्तरों पर अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण हैं। व्यक्तिगत रूप से कनाडा के लोग आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से गहरे व्यक्तिगत संबंध रखते हैं।" यह बयान इस बात को दर्शाता है कि कार्नी अपने कार्यकाल में भारत के साथ मजबूत और सकारात्मक संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

खालिस्तान समर्थक उग्रवादी की हत्या पर कार्नी की चुप्पी

कनाडा में खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या एक जटिल मुद्दा बन चुकी है और कार्नी ने इस पर सीधे टिप्पणी करने से बचने की कोशिश की है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि दोनों देशों के बीच जो भी मतभेद हैं उन्हें आपसी सम्मान और बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है। डेली गार्जियन से बातचीत में उन्होंने कहा "हमने इस रिश्ते में तनाव नहीं पैदा किया लेकिन आपसी सम्मान के साथ हम इन मुद्दों को सुलझा सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।" यह संकेत देता है कि कार्नी भारत के साथ अपने रिश्ते को सुधारने के लिए एक व्यावहारिक और समझदारी भरी दिशा में काम करने को तैयार हैं।

ट्रूडो के दौर में बिगड़े भारत-कनाडा रिश्ते

पूर्व कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के रिश्ते खराब हो गए थे विशेष रूप से जब ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ होने का आरोप लगाया था। इसने भारत-ओटावा संबंधों में काफ़ी तनाव पैदा किया था। अब मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने भी कनाडा के साथ अपने संबंधों में नरमी का रुख अपनाया है और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नई दिल्ली और ओटावा के रिश्तों के पुनर्निर्माण की उम्मीद जताई है।

--Advertisement--