संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 यानी महिला आरक्षण बिल लंबी बहस के बाद लोकसभा से पास हो गया। 128वें संविधान संशोधन के पक्ष में लोकसभा के 454 सांसदों ने वोट किया।
वहीं दो सांसदों ने बिल के विरूद्ध अपना वोट दिया। हालांकि वोटिंग पुरानी तरकीब से कराई गई। वोटिंग में पर्चियों का इस्तेमाल किया गया। नई संसद की वजह से इस प्रक्रिया ने सभी का ध्यान खींचा। ऐसे में प्रश्न उठता है कि नई संसद में पुरानी तकनीक से वोटिंग क्यों कराई गई?
दरअसल महिला आरक्षण बिल के लिए मतविभाजन के दौरान वोटिंग के लिए डिजिटल वोटिंग सिस्टम का उपयोग नहीं किया जा सका। ऐसा क्यों हुआ, इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष को महिला ने बताया। बातचीत के बाद उन्होंने कहा कि यह संविधान संशोधन है तो इसके लिए मतदान करना होगा।
हालांकि इस नए सदन में डिविजन नंबर नहीं दिए गए हैं। इसलिए मतदान मत पर्चियों द्वारा ही होगा। इस पर जब विपक्ष की तरफ से सवाल पूछा गया तो लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि डिविजन नंबर इसलिए आवंटित नहीं हो सका है क्योंकि आपके दलों ने अभी इसे आवंटन करके नहीं दिया है।
डिजिटल वोटिंग प्रणाली में सदस्यों को वोट देने के दौरान समर्थन, विरोध या अनुपस्थित रहने के लिए अपने डेस्क पर बटन दबाने की आवश्यकता होती है। ये प्रक्रिया बहुत सरल है और परिणाम झट से आ जाते हैं। वही पार्टियों में सदस्य अपना वोट दर्ज करने के लिए पर्ची के हरे या लाल पन्ने पर हस्ताक्षर करते हैं। परिणाम के लिए पर्चियों की गिनती की जाती है।
वोटिंग की जरूरत क्यों पड़ी?
नारी शक्ति बंधन अधिनियम 2023 एक संविधान संशोधन बिल था। इसलिए यह देखने के लिए विशेष मतदान प्रक्रिया का उपयोग किया गया कि कितने सदस्य इसके पक्ष और कितने इसके विरोध में हैं। साधारण विधेयक आम तौर पर ध्वनिमत से पारित किए जाते हैं, मगर संविधान संशोधन से जुड़े विधेयक मतविभाजन के माध्यम से पारित होते हैं। राज्य सभा में होगी बिल पर चर्चा महिला आरक्षण बिल लोकसभा से पारित होने के बाद राज्य सभा में भेजा जाएगा, जहां उस पर चर्चा की जाएगी।
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