North korea: उत्तर कोरिया में भारतीय दूतावास का फिर से खुलना एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटना है। जो कई संभावित कारणों और प्रभावों को दर्शाता है। यह कदम भारत की विदेश नीति में एक बदलाव का संकेत हो सकता है, जो कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।
उत्तर कोरिया के साथ संबंधों को फिर से स्थापित करने का मतलब है कि भारत अपने कूटनीतिक दायरे को विस्तारित करने की कोशिश कर रहा है। यह एक संकेत हो सकता है कि भारत क्षेत्रीय मामलों में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है।
भारत को ये दो बड़े फायदे हो सकते हैं
भारत का उत्तर कोरिया के साथ संबंध स्थापित करना आर्थिक और सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो सकता है। इससे भारत को क्षेत्र में अपने आर्थिक हितों को सुरक्षित करने में मदद मिल सकती है।
वैश्विक राजनीति में हो रहे बदलावों के बीच भारत अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए नए गठबंधनों की तलाश कर रहा है। उत्तर कोरिया के साथ संबंधों का पुनर्निर्माण इस दिशा में एक कदम हो सकता है।
आपको बता दें कि जुलाई 2021 में हिंदुस्तान ने नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में अपना दूतावास बंद कर दिया था और अपने राजदूत के साथ साथ पूरे स्टाफ को वापस स्वदेश बुला लिया था। इसका कारण मोदी सरकार ने कोविड-19 महामारी को बताया था।
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