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आईये आज भारत और सऊदी अरब की दोस्ती पर नजर डाल लेते हैं। सऊदी के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने जी 20 समिट में शिरकत की। भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ उनकी मुलाकात हुई। सऊदी प्रिंस ने भारत को जी ट्वंटी के सफल आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि सऊदी और भारत एक साथ मिलकर बेहतर भविष्य के लिए काम करेंगे। इससे पहले सऊदी के पीएम फरवरी 2019 में भारत आए थे और अब यह उनका दूसरा राजकीय दौरा है।

पीएम मोदी ने भी 2016 और 2019 में सऊदी अरब का दौरा किया था। भारत और सऊदी के बीच 5000 करोड़ से ज्यादा का वार्षिक व्यापार है। साल 2022 23 में भारत ने सऊदी को करीब 1000 करोड़ का निर्यात किया जबकि करीब 4000 करोड़ का आयात किया। भारत की करीब 700 कंपनियां सऊदी में कार्य कर रहीं हैं जिन्होंने वहां करीब 200 करोड़ डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया हुआ है।

भारत को होगा ये फायदा

दूसरी ओर सऊदी अरब ने भी भारत में मार्च 2021 तक 300 करोड़ डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया हुआ था। चीन के बाद भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर सऊदी अरब ही है। साल 2022 23 में भारत के टोटल ट्रेड का करीब पाँच फीसद केवल सऊदी के साथ ही हुआ था। सऊदी के साथ भारत की दोस्ती निरंतर बढ़ रही है और आने वाले वक्त में भारत और सऊदी अरब दोनों को इससे फायदा होगा। पीएम मोदी का प्लान साल 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को पाँच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का है।

इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि सऊदी में दो करोड़ से ज्यादा भारतीय रहते हैं। ये लोग वहां की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा हैं जिसे सऊदी नकार नहीं सकता है। ना ही इस बात को नकारा जाना चाहिए कि सऊदी अब अपनी छवि को बदलना चाहता है। कच्चे तेल उत्पादक और इस्लामी देश के अलावा वो अपनी एक ग्लोबल छवि बनाना चाहता है। इसके लिए उसे भारत का साथ भी चाहिए, भारत का बाजार भी चाहिए और भारत की मदद भी चाहिए। 

वहीं भारत को सऊदी अरब से सोलर पावर का फायदा मिलेगा। एनर्जी सेक्टर में AI को बढ़ावा दिया जाएगा। यानी कुल मिलाकर व्यापार से लेकर एनर्जी तक के क्षेत्र में भारत को सऊदी अरब से फायदा होगा और सऊदी को भी भारत से तकनीक और मैनपावर के साथ साथ व्यापारिक फायदे होंगे।

 

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