
Up Kiran, Digital Desk: जातिगत भेदभाव को समाप्त करने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, तमिलनाडु सरकार ने राज्य के सभी छात्र छात्रावासों का नाम बदलकर 'सामाजिक न्याय छात्रावास' (Social Justice Hostels) कर दिया है। यह पहल न केवल एक प्रतीकात्मक बदलाव है, बल्कि यह सरकार की समावेशी और न्यायसंगत समाज के निर्माण की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
सरकार का यह निर्णय छात्रावासों से जातिगत पहचान और संबंधित भेदभाव को हटाने के उद्देश्य से लिया गया है। पहले, कई छात्रावासों को उनकी जातिगत पहचान के आधार पर नाम दिया जाता था, जिससे छात्रों के बीच सामाजिक विभाजन और पहचान-आधारित पूर्वाग्रह बढ़ सकते थे। नए नामकरण से अब इन छात्रावासों को एक समावेशी पहचान मिलेगी, जहाँ सभी छात्र समान रूप से रह सकेंगे।
इस पहल के मुख्य उद्देश्य:
जातिगत भेदभाव का उन्मूलन: छात्रावासों में जातिगत विभाजन को समाप्त करना और सभी छात्रों के बीच समानता को बढ़ावा देना।
समावेशी वातावरण: एक ऐसा माहौल बनाना जहाँ कोई भी छात्र अपनी जाति या पृष्ठभूमि के कारण अलग-थलग महसूस न करे।
सामाजिक न्याय का संदेश: समाज को यह संदेश देना कि सरकार सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों के प्रति दृढ़ है।
भेदभाव रहित शिक्षा: सुनिश्चित करना कि शिक्षा और आवास के अवसर सभी के लिए समान हों।
तमिलनाडु में सामाजिक न्याय का एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है, और यह निर्णय उसी परंपरा को आगे बढ़ाता है। सरकार का मानना है कि यह कदम छात्रों के मन से जातिगत पहचान के आधार पर किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह को दूर करने में मदद करेगा और उन्हें एक अधिक सहिष्णु और समतावादी समाज में रहने के लिए तैयार करेगा। यह न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे प्रतीकात्मक बदलाव भी सामाजिक परिवर्तन का वाहक बन सकते हैं।
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