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विधानसभा इलेक्शनों के परिणामों को आए हुए पूरा एक महीना बीत गया है। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में कांग्रेस को करारी हार मिली। मध्यप्रदेश में संगठन के स्तर पर कांग्रेस में फेरबदल किए गए। युवा नेता जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। किंतु सवाल है कि राजस्थान में पार्टी के संगठन में से किसी का इस्तीफा क्यों नहीं लिया गया।

प्रदेश में जो बदलाव हुए हैं, उनसे राज्स की सियासत पर कोई खास असर होने वाला नहीं है। क्योंकि सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रदेश प्रभारी बनाया गया है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नेशनल अलायंस कमेटी का सदस्य बनाया गया। प्रदेश के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी अपने पद पर बने हुए हैं। वहीं अध्यक्ष पद पर गोविंद सिंह डोटासरा की जगह दूसरे व्यक्ति को लाने की बात ही नहीं हो रही, लेकिन क्यों इसकी वजह जानने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं।

राजस्थान में कांग्रेस रिवाज बदलने की उम्मीद कर रही थी, किंतु उम्मीदों के उलट शासन बदल गया और बीजेपी सत्ता पर विराजमान हो गई। जब हार के कारणों पर चर्चा हुई तो अंदरूनी गुटबाजी सबसे बड़ा कारण नजर आई। इसलिए सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ और अशोक गहलोत को दिल्ली में जिम्मेदारी देकर इस गुटबाजी को खत्म करने का प्रयास किया गया है। वहीं सचिन तो पीसीसी चीफ और नेता प्रतिपक्ष की दौड़ से भी बाहर हो गए हैं। अध्यक्ष पद और प्रभारी पद पर पार्टी ने कोई बदलाव नहीं किया। अध्यक्ष पद और प्रभारी पद पर पार्टी ने कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि सुखजिंदर ने हाईकमान से मीटिंग के बाद इस्तीफे की पेशकश की थी, मगर उन्हें भी अब भी राजस्थान में सक्रिय रहने को कहा गया। 

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