राजस्थान में चुनावी हलचल के बीच भाजपा, कांग्रेस, बसपा समेत सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मगर राजस्थान की सत्ता में पहुंचने के लिए भाजपा और कांग्रेस की असल खींचतान 119 सीटों पर रहती है।
राज्य में 60 सीटें ऐसी हैं जिनपर हमेशा बीजेपी का कब्जा रहता है तो 21 की सीटों पर कांग्रेस जीती आई है। ऐसे में प्रदेश की 119 सीटों को जीतने के लिए दोनों ही पार्टियां राजनीति का हर दांव पेच खेलती है। दरअसल प्रदेश में सत्ता पलटने में 200 में से 60 सीट भाजपा की फिक्स है, जिन पर हमेशा से भाजपा विराजमान रही है।
21 सीटें ऐसी हैं जिन पर सालों से कांग्रेस को जीत मिलती रही है। ऐसे में प्रदेश की 119 सीटें ऐसी हैं जिनपर बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों की नजर रहती है। इन सीटों पर जीतने के बाद पार्टी सत्ता में पहुंचती है। 119 सीटें ऐसी हैं जहां मतदाता हर बार पार्टी आप विधायक बदलते हैं।
इन सीटों पर मतदाता अपने क्षेत्र के मुद्दे, चेहरे, जाति और सक्रियता के आधार पर वोट डालते हैं। अगर विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो बीजेपी को पाँच बार पाली में जीत मिली है। चार बार उदयपुर, लाड़पुरा, रामगंजमंडी, सोजत, झालरापाटन, खानपुर, भीलवाड़ा, ब्यावर, फुलेरा, सांगानेर, रेवदर, राजसमंद, नागौर में जीत दर्ज की है।
इसके अलावा कोटा साउथ, बूंदी सूरसागर, भीनमाल, अजमेर नॉर्थ, साउथ, मालवीय नगर, रतनगढ़, विद्याधर नगर, बीकानेर, सिवाना, अलवर सिटी और इन में बीजेपी ने तीन बार जीत दर्ज कराई है। जबकि तेतीस सीटों पर दो बार बीजेपी को जीत मिली है। यदि कांग्रेस की बात करें तो पाँच बार जोधपुर की सरदारपुरा सीट से कांग्रेस को जीत मिली है, जबकि बाड़ी सीट पर तीन बार कांग्रेस को जीत मिली है।
तीन बार झुंझुनूं में बागीदौरा, सपोटरा, बाढ़, गुड़ामालानी, पातेपुर में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। साथ ही डीग, कुम्हेर, सांचौर, बड़ीसादड़ी, चितौड़गढ़, कोटपुतली, कोटपूतली, सरदारशहर सहित 13 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है। जबकि उदयपुर शहर सीट पर कांग्रेस 25 साल से नहीं जीती है। 51 साल में 11 चुनाव में से कांग्रेस सिर्फ 1985 और 1998 में जीती थी। इसी तरह फतेहपुर में 1993 के चुनाव में आखरी बार भंवर लाल ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद बीजेपी कभी नहीं जीत पाई।
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