राजस्थान में इसी साल 2023 के आखिर तक होने वाले विधानसभा इलेक्शन में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने ही अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। प्रदेश के सियासी इतिहास को देखें तो इस राज्य में आजतक जनता ने एक पार्टी की सरकार को निरंतर दूसरा मौका नहीं दिया है।
अगर इस बार कांग्रेस की जीत होती है तो राजस्थान की बीते तीस वर्षों से चली आ रही परंपरा भी बदल जाएगी। हालांकि राज्य में जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस को अभी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। अब तक पार्टी के पास सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के दो दिग्गज नेता अशोक गहलोत सचिन पायलट के बीच सुलह करवाना था। फिलहाल अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों आपसी दुश्मनी भुलाकर पार्टी के लिए एकजुटता के साथ चुनावी रणभूमि में उतरे हैं।
कांग्रेस के सामने ये चुनौती
अब भले ही कांग्रेस की अंदरूनी कलह पर फुलस्टॉप लग गया हो, लेकिन इस साल होने वाले इलेक्शन में जीत दर्ज करने के लिए पार्टी की चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। इलेक्शन से पहले राज्य में होने वाले तमाम सर्वे और उनके परिणाम बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है। तो आइए जानते हैं वो मुद्दा जो कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकता हैं।
गहलोत सरकार का हिंदुत्व विरोधी होने का आरोप इलेक्शन से पहले कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने कई आरोप लगाए हैं। इन आरोपों में अशोक गहलोत का हिंदुत्व विरोधी होने का आरोप एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है। अशोक गहलोत की सरकार पर भाजपा कई बार हिन्दू विरोधी होने का आरोप लगाती रहती है। ये वो मुद्दा है जिसपर कांग्रेस फिलहाल बैकफुट पर है। हालांकि कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलकर इस बार हिन्दू तीर्थस्थलों, धार्मिक पर्यटन स्थलों, मंदिरों में जमकर काम किए और कई योजनाएं भी चलाई हैं।
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