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बादल फटना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. बारिश से होने वाली तबाही का पैमाना कभी-कभी बहुत भयावह होता है। बादल फटने को भू-जलवैज्ञानिक खतरों के रूप में भी जाना जाता है। आईये जानते हैं कि आखिर बादल क्यों फटता है।

20 से 30 वर्ग किमी के क्षेत्र में प्रति घंटे 100 मिमी या 10 सेमी से अधिक वर्षा होती है। एक छोटे से क्षेत्र में भारी वर्षा होती है। नमी से भरा एक बड़ा बादल कई बादलों से टकराता है। इस समय भारी वर्षा होती है जिसे बादल फटना कहते हैं।

पहाड़ी इलाकों में नमी वाले बादलों के जमा होने से बादल फटने का खतरा ज्यादा रहता है। बादल फटना भारी वर्षा का एक रूप है।

मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, जब बादल बहुत ज्यादा मात्रा में आद्रता यानि पानी लेकर आसमान में चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है, तब वो अचानक फट पड़ते हैं, यानि संघनन बहुत तेजी से होता है। परिणाम स्वरूप उस इलाके में बहुत ही भयंकर वर्षा होती है।

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