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हस्तरेखा शास्त्र में चंद्र पर्वत को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। ज्योतिषी बताते हैं कि चंद्रमा मन का कारक है। ऐसे में हाथ में चंद्र पर्वत से लेकर कुंडली में मौजूद चंद्रमा की स्थिति व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करती हैं। कहा जाता है कि अगर चंद्र पर्वत हथेली से बाहर निकल जाए तो ये जातक भोगी होता है। ऐसे लोगों को जीवन में भोगविलास के अलावा कोई और कार्य नहीं समझ में आता है । वहीं यदि चंद्र पर्वत का झुकाव शुक्र पर्वत की तरफ हो तो जातक अत्यधिक कामुक प्रवृत्ति का हो जाता है।

ज्योतिषी बताते हैं कि चंद्र पर्वत पर आड़ी-टेड़ी रेखाएं व्यक्ति को जीवन में जल यात्रा के योग की तरफ इशारा करती है। अगर किसी व्यक्ति के हाथ में चंद्र पर्वत अधिक उभरा हुआ होता है तो वह जातक अस्थिर होते हैं और निराशा में जीवन जीते हैं। हस्तरेखा विज्ञान के बताया गया है कि जिन लोगों के हाथ में चंद्र पर्वत विकसित होता है वे अत्यंक भावुक एवं कल्पनाशील होते हैं।

ऐसे लोग अक्सर सपनों की दुनिया में खोए रहते हैं। ये जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना नहीं कर पाते और जल्दी टूट जाते हैं। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि व्यक्ति का चंद्र पर्वत सामान्य विकसित हो तो जातक करोड़पति होते हैं, लेकिन वे ज्यादा भावुक किस्म के होते हैं।

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