हिंदू धर्म में पंचक को विशेष महत्व दिया गया है। पंचक के दिनों में कुछ कार्यों को करना वर्जित होता है। ‘मुहूर्त चिंतामणि’ में पंचक को लेकर बताया गया है कि पंचक कैसे लगता है और इसके पीछे क्या मान्यता है। आइए जानते हैं…
पंचक कैसे लगता है
‘मुहूर्त चिंतामणि’ में बताया गया है कि जब चंद्रमा का गोचर घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र में होता है तो पंचक लगता है। वहीं जब चंद्रमा का गोचर कुंभ और मीन राशि में होता है तो भी ‘पंचक’ लगता है। कहीं-कहीं इसे भदवा के नाम से भी जाना जाता है।
पंचक कब से है
पंचांग के अनुसार पंचक 12 नवंबर दिन शुक्रवार को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को तड़के 2 बजकर 52 मिनट से लगेगा।
कब समाप्त होगा
पंचक 16 नवंबर दिन मंगलवार को रात 8 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगा।
चोर पंचक
12 नवंबर से लगने वाला पंचक, ‘चोर पंचक’ कहलायेगा। मान्यता है कि पंचक जब शुक्रवार के दिन लगता है तो इस ‘चोर पंचक’ कहते हैं। इस पंचक में बिजनेस और लेनदेन आदि से परहेज करना चाहिए।
पंचक में वर्जित कार्य
‘अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।
संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके।।
‘मुहूर्त चिंतामणि’ में बताया गया है कि पंचक में 5 प्रकार के कार्यों को वर्जित माना गया है। लकड़ी एकत्र करना, पंलग खरीद कर घर पर लाना या उसे बनवाना, घर की छत का निर्माण कराना और दक्षिण दिशा की यात्रा करना अशुभ होता है।