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वर्तमान में भारत में सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है। मगर, आज भी ज्यादातर लोग पेट्रोल या डीजल कार खरीदना पसंद करते हैं।

कई नए कार खरीदार इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि पेट्रोल या डीजल कार खरीदें। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों ईंधन विकल्पों में कई वाहन हैं। कुछ सोचते हैं कि पेट्रोल कारें बेहतर होती हैं, जबकि अन्य सोचते हैं कि डीजल कारें अधिक शक्तिशाली होती हैं।

पहले डीजल वाहन खरीदने की सबसे बड़ा कारण इसका ज्यादा माइलेज और दमदार इंजन होता था। मगर अब पेट्रोल इंजन को भी काफी अपडेट किया गया है।

अब ये इंजन ज्यादा रिफाइंड हैं। साथ ही पेट्रोल इंजन का माइलेज भी काफी बढ़ गया है। पहले पेट्रोल और डीजल की कीमत में बड़ा अंतर था, मगर अब यह अंतर केवल 10 रुपये रह गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि डीजल कार खरीदें या पेट्रोल कार।

डीजल कार किसे खरीदनी चाहिए?- कई ऑटो विशेषज्ञ की राय है कि यदि आपका रोजाना का सफर 50 से 60 किलोमीटर यानी एक महीने में करीब 1500 km है तो आपको पेट्रोल कार खरीदनी चाहिए। यदि आपका रोजाना का सफर 70 से 150 किमी यानी एक महीने में 4000 किमी है तो आपको डीजल कार का चुनाव करना चाहिए।

जानकारों के अनुसार, डीजल कारों को पेट्रोल कारों के सामने अधिक मेंटेनेंस की जरूरत होती है। डीजल कार की लाइफ पेट्रोल कार से 5 साल कम होती है। राजधानी दिल्ली में 10 साल से ज्यादा पुरानी डीजल कारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

साथ ही दिल्ली में पेट्रोल कारों के लिए 15 साल तक की सीमा है। इसी बीच इन दिनों पेट्रोल कारें भी डीजल के बराबर माइलेज देने लगी हैं। हालांकि अभी भी प्रति लीटर 4 से 5 km का डिफरेंस है।

कीमत में अंतर- तीसरी बात यह है कि पेट्रोल कारों की तुलना में डीजल कारें भी बहुत महंगी होती हैं। उदाहरण के तौर पर Hyundai Venue को लें तो इसके पेट्रोल S मॉडल की प्राइस 8.90 लाख रुपये एक्स-शोरूम है।

जबकि वेन्यू के एस प्लस डीजल मॉडल की कीमत 10.40 लाख रुपए एक्स-शोरूम है। अन्य वाहनों में यह कीमत कम या ज्यादा हो सकती है। इस जानकारी से आप तय कर सकते हैं कि पेट्रोल कार खरीदनी है या डीजल कार।

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