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Up kiran,Digital Desk : अगर आप जयपुर में रहते हैं और सुबह की सैर पर निकलते हैं या रात को छत पर टहलते हैं, तो अब आपको बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। गुलाबी नगरी इन दिनों एक अलग ही खौफ के साये में है। शहर की भीड़भाड़ वाली और पॉश कॉलोनियों में लगातार तेंदुए (Leopard) देखे जा रहे हैं।

पिछले एक हफ्ते में तीन बार तेंदुए के देखे जाने की पुष्टि हो चुकी है। यह कोई जंगल की बात नहीं है, बल्कि यह जानवर आपके और हमारे बीच रिहायशी इलाकों में घूम रहे हैं।

CCTV फुटेज देखकर उड़ गए होश

ताजा मामला शास्त्री नगर, कल्याण कॉलोनी और सीकर हाउस इलाके का है। यहाँ लगे सीसीटीवी कैमरों में एक तेंदुआ बड़े आराम से सड़क पार करते हुए और एक घर की छत पर चलते हुए कैद हुआ है। यह फुटेज देखकर स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया है।

सोचिए, सुबह करीब 6 बजे कुत्तों के भौंकने की आवाज आती है और जब लोग सीसीटीवी चेक करते हैं, तो पता चलता है कि मौत उनके घर के बाहर से गुजर रही थी। इससे पहले 20 नवंबर को तो यह तेंदुआ जयपुर के वीवीआईपी इलाके सिविल लाइंस तक पहुंच गया था और बुधवार को विद्याधर नगर में भी इसकी आहट मिली थी।

वन विभाग का मानना है कि यह तेंदुआ नाहरगढ़ या पापड़ के हनुमान मंदिर के पीछे वाले जंगलों से रास्ता भटककर शहर में घुस आया है। गनीमत यह है कि जयपुर में अभी तक इसने किसी इंसान पर हमला नहीं किया है, लेकिन पिछले साल उदयपुर में हुए हादसों को कोई नहीं भूल सकता।

आखिर शहर में क्यों घुस रहे हैं जंगल के राजा?

यह सवाल हम सबके मन में है। वन विभाग के अधिकारियों ने इसकी एक कड़वी सच्चाई बताई है— "भूख"।
अधिकारियों के मुताबिक, जंगलों में तेंदुओं के लिए शिकार (भोजन) और पानी की भारी कमी हो गई है। पेट की आग बुझाने के लिए ये जानवर मजबूर होकर इंसानी बस्तियों का रुख कर रहे हैं। आबादी बढ़ रही है, लेकिन जंगल सिकुड़ रहे हैं, जिससे 'मानव-वन्यजीव संघर्ष' बढ़ता जा रहा है।

क्या कर रही है सरकार?

वन विभाग अब सर्च ऑपरेशन चला रहा है। सीकर हाउस के खाली प्लॉट और आसपास के इलाकों में टीमें चप्पा-चप्पा छान रही हैं।
एक बड़ी समस्या यह भी है कि तेंदुओं के लिए भोजन (Prey Base) यानी हिरण या चीतल कम हो गए हैं। राजस्थान ने मध्य प्रदेश से चीतल मांगे थे, लेकिन उन्होंने देने से मना कर दिया। अब राज्य सरकार खुद 10 जगहों पर नया शिकार-आधार विकसित कर रही है, लेकिन इसमें अभी 3 से 4 साल लगेंगे।

पहली बार हो रही है तेंदुओं की सही गिनती

अभी तक सिर्फ अनुमान लगाए जाते थे, लेकिन अब राजस्थान में पहली बार तेंदुओं की वैज्ञानिक गणना (Scientific Census) हो रही है। पैरों के निशान (Pugmark) लिए जा चुके हैं और अब कैमरा ट्रैप के जरिए इनकी गिनती होगी।
वैसे आपको बता दें कि राज्य में तेंदुओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। 2017 में जहाँ इनकी संख्या 507 थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर 925 हो चुकी है।