West Bengal में लगेगा राष्ट्रपति शासन? जानें क्यों आ रही राज्य में ये स्थिति

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वेस्ट बंगाल (West Bengal) में विधान सभा इलेक्शन के उपरांत हुई हिंसा की SIT से जांच कराने, पीड़ितों को मुआवजा या आर्थिक मदद देने और सुरक्षा मुहैया कराने की मांग वाली याचिका पर शीर्ष अदालत ने वेस्ट बंगाल और केंद्र को नोटिस भेजा है। प्रार्थना पत्र में सीएम ममता बनर्जी को भी पक्षकार बनाया गया है, किंतु उन्हें कोई नोटिस नहीं जारी किया गया है।

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दरअसल, वेस्ट बंगाल (West Bengal) में विधान सभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद कई शहरों, कस्बों और गांवों में हुई हिंसा, आगजनी और मनमानी की घटनाओं के पीछे जिम्मेदार लोगों और कारणों की जांच SIT द्वारा कराए जाने की मांग की गई है। इस पर कोर्ट ने केंद्र, वेस्ट बंगाल सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि केंद्र एवं प्रदेश सरकार को वैसे लोगों का पुनर्वास कराने के आदेश दिया जाएं, जो अपना घर छोड़कर असम या अन्य राज्यों में विस्थापित हो गए हैं। याचिका में केंद्र को West Bengal में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) लागू करने जैसे कदम उठाने के निर्देश देने की भी मांग की गई है।

इसके साथ ही याचिका में मांग की गई है कि मोदी सरकार को प्रदेश में अर्धसैनिक बलों की तैनाती करने के आदेश दिए जाएं। साथ ही विधान सभा चुनाव के बाद 2 मई से शुरू हुई सियासी हिंसा की अदालत की निगरानी में SIT से जांच और सभी पीड़ितों को मुआवजा देने के आदेश जारी करने की मांग भी की गई है।

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