
वाराणसी जिला न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी क्षेत्र स्थित व्यास तालघर में हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार दे दिया है। जहां हिंदू पक्ष ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ये 31 साल बाद न्याय है, वहीं मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वह इसके विरूद्ध हाई कोर्ट जाएंगे। वाराणसी जिला अदालत के फैसले के बाद ज्ञानवापी में देर रात पूजा की गई और दीपक जलाए गए। साथ ही यहां की सड़क का नाम ज्ञानवापी मंदिर रखा गया है।
नवंबर 1993 तक सोमनाथ व्यास तहखाने में पूजा कर रहे थे। हालांकि, बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर बैन लगा दिया। शैलेन्द्र पाठक ने बेसमेंट में पूजा का अधिकार पाने को लेकर 25 सितंबर 2023 को याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई के बाद जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने फैसला सुनाया।
देर रात ज्ञान की आराधना की गई
जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने पूजा की जिम्मेदारी काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को दी है। इसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ओम प्रकाश मिश्र और अयोध्या में रामलला के अभिषेक के लिए शुभ समय तय करने वाले गणेश्वर द्रविड़ ने व्यास तहखाने में पूजा की। अदालत के आदेश के बाद बेसमेंट में लगे बैरिकेड हटा दिए गए। इसके बाद लोग पूजा के लिए जुटने लगे। कड़ी प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था के बीच पूजा शुरू हो गई है। भारी तादाद में जवानों की तैनाती की गई है और श्रद्धालु व्यास तहखाने में जाकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। तो रात में कुछ युवकों ने ज्ञानवापी की ओर जाने वाली सड़क पर लगे साइन बोर्ड पर 'ज्ञानवापी मंदिर मार्ग' लिख दिया। ये फोटो वायरल हो रही है।
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