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क्रिकेट के गलियारों में एक बार फिर से विराट कोहली के नाम का डंका बज रहा है। त्रिनिदाद टेस्ट में कोहली का बल्ला जमकर गरजा। पूर्व भारतीय कप्तान ने 206 गेंदों पर 121 रन की शानदार पारी खेली। टेस्ट क्रिकेट में उनका यह 29वां और इंटरनेशनल क्रिकेट में छह दरवाजे तक रहा। हालांकि पिछले साल तक उनकी खराब फॉर्म को लेकर खूब आलोचना हो रही थी।

कई जानकारों ने तो कोहली को संन्यास तक की सलाह दे डाली थी। 2019 के बाद से विराट कोहली ने अगले तीन सालों तक किसी भी फॉर्मेट में कोई शतक नहीं लगाया था। ऐसा लग रहा था कि कोहली मानो रनों के लिए तरस चुके हैं, मगर विराट ने सभी को मुंह जवाब दिया है। पिछले साल दिसंबर में हुए एशिया कप से विराट का बल्ला निरंतर रन बरसा रहा है। कोहली फिर से उसी अंदाज में बल्लेबाजी कर रहे हैं जिसकी पूरी दुनिया दीवानी है।

वेस्टइंडीज के विरूद्ध खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में शतकीय पारी के बाद जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में विराट कोहली से उनके शतक को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने ऐसा कुछ कहा जिससे उनके तमाम आलोचकों के मुंह पर ताला लग गया। कोहली ने कहा, अगर मैं 50 से ज्यादा रन बनाता हूं तो लोग कहते हैं कि मैं शतक से चूक गया। वहीं अगर मैं 120 से 130 रन पर आउट होता हूं तो बोला जाता है कि मैं दोहरा शतक नहीं बना सका। यह बस दूसरों के बोलने की बात है। असल में 15 साल के बाद इन आंकड़ों का कोई मतलब नहीं रह जाता। सभी को यह याद रखना होगा कि मैंने कितना प्रभाव छोड़ा है।

विराट ने आगे कहा कि मेरे लिए सबसे ज्यादा फिटनेस है। इसकी वजह से मुझे लगातार बेहतर बनने में मदद मिलती है। देश के लिए 500 मैच खेलना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है। यह सबकुछ मैंने अपनी कड़ी मेहनत से हासिल किया है। मैंने कभी इस मुकाम तक पहुंचने के बारे में नहीं सोचा था।

बता दें कि विराट कोहली ने पांच साल के बाद विदेशी सरजमीं पर टेस्ट शतक लगाया है। दो हज़ार 18 में कोहली ने अपना आखिरी विदेशी सैकड़ा लगाया था। तब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध पर्थ टेस्ट में 130 रन की पारी खेली थी। इसके साथ ही किंग कोहली दुनिया के पहले ऐसे क्रिकेटर भी बन गए हैं जिन्होंने अपने 500वें इंटरनेशनल मैच में शतक लगाया हो।

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