नई दिल्ली। भगवान श्रीकृष्ण के नाम राधा रानी के बिना अधूरा होता है। जब भी श्रीकृष्ण का नाम लिया जाता है उनके साथ राधा का नाम जरूर आता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी (Radha Ashtami Vrat) का पर्व मनाया जाता है। कहते हैं बिना राधाष्टमी का व्रत किया जन्माष्टमी का व्रत अधूरा होता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी व्रत रखा जाता है। इस साल राधा अष्टमी 14 सितंबर दिन मंगलवार को पड़ रही है। कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का त्योहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
राधा अष्टमी तिथि 13 सितंबर दोपहर 3 बजकर 10 मिनट से शुरू होगी, जो कि 14 सितंबर की दोपहर 1 बजकर 9 मिनट तक रहेगी।
जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी पर्व (Radha Ashtami Vrat) का भी सनातन धर्म में विशेष महत्व है। कहते हैं कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जो लोग राधा जी को प्रसन्न कर देते हैं उनसे भगवान श्रीकृष्ण अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं। मान्यता है कि राधा अष्टमी का व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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