हिंदुस्तान तथा फ्रांस के मध्य राफेल सौदा (Rafale Jet Fighter) एक बार फिर मतभेदों के दायरे में आ गया है। फ्रांस में ‘फ्रेंच नेशनल फाइनेंशियल प्रोसेक्यूटर्स ऑफिस (PNF)’ ने एक जज को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है।
अवगत करा दें कि इस सौदे (Rafale Jet Fighter) में कमीशन के रूप में लाखों यूरो की रिश्वतखोरी का खुलासा मीडियापार्ट नाम की वेबसाइट ने इस साल अप्रैल में किया था। इसके बाद वित्तीय अपराधों में विशिष्टीकरण रखने वाले NGO शेरपा ने जांच के लिए ऑफीशियल केस दर्ज करवाया था। इसी के आधार पर मौजूदा तफ्तीश करवाई जा रही है।
प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने राफेल सौदे (Rafale Jet Fighter) में CBI जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। किन्तु 2019 के चुनावों के ठीक पहले दिसंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने इस मांग को मानने से इंकार करते हुए याचिका कैंसिल कर दी। इसके बाद तीनों ने एक रिव्यू पेटिशन दाखिल की।
मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अक्टूबर 2019 में भारत को राफेल (Rafale Jet Fighter) की पहली खेप प्राप्त हुई। नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पेटिशन को भी ठुकरा दिया। अप्रैल में मीडियापार्ट के खुलासे के बाद वकील एम एल शर्मा ने फिर से PIL दायर की। इस याचिका में पीएम नरेंद्र मोदी को प्रतिवादी नंबर एक बनाया गया था।
शर्मा का आरोप था कि इस Rafale Jet Fighter डील में कमीशनबाजी की गई है। शर्मा ने कोर्ट से पीएम मोदी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग करते हुए राफेल समझौते की CBI जांच कराए जाने की मांग की है। याचिका में ब्रोकर सुशेन गुप्ता का भी उल्लेख किया गया है। सुशेन गुप्ता और उसकी कंपनी डेफसिस सॉल्यूशन का मीडियापार्ट की रिपोर्ट में भी उल्लेख है। हालांकि, फिलहाल फ्रांस ने इस सौदे की जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं, वहीँ भारत में अभी इस पर कोई जांच नहीं चल रही है।