नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है जिसमें जिसने दिल्ली सरकार को सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा गरीब किरायेदारों के किराए का भुगतान करने के लिए किए गए वादों को लागू करने का निर्देश देने के फैसला दिया गया था।
सर्वोच्च न्यायलय ने कोरोना महामारी के दौरान गरीब किरायेदारों को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा किराये से राहत पहुंचाने संबंधी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ऐलान के क्रियान्वयन पर दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका सोमवार को खारिज कर दी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने घोषणा की थी कि अगर कोई गरीब किरायेदार कोरोना महामारी के दौरान किराया नहीं पा है तो राज्य सरकार यह राशि वहन करेगी। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि कोई नीति बनानी होगी, इस बारे में एक अधिसूचना जारी करनी होगी। बेंच ने कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच के फैसले के खिलाफ उस अदालत की डिवीजन बेंच द्वारा जारी आदेश के विरुद्ध विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 136 के अंतर्गत हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है। इस आधार पर विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।