सुरक्षित प्रसव व जच्चा-बच्चा के पूर्ण स्वास्थ्य के लिए सही खानपान व पोषक जरूरी

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महराजगंज। सदर सीएचसी के अधीक्षक डाॅ. केपी सिंह ने कहा कि सुरक्षित प्रसव व जच्चा बच्चा के पूर्ण स्वास्थ्य के लिए सही खानपान व पोषण जरूरी है। गर्भवती होने पर शीघ्र पंजीकरण करा लेना चाहिए। इससे समय-समय पर जांच और एचआरपी का पता चल जाता है।

Health Department

सुरक्षित प्रसव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एंबुलेंस सेवा एवं जननी सुरक्षा योजना की सुविधा मिलती है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग का पूरा फोकस रहता है। इसके लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर जांच के साथ ही काऊंसिलिंग की भी व्यवस्था रहती है। साथ ही गर्भवती को आयरन-केल्शियम की गोलियां भी मिलती है।

उन्होंने कहा कि गर्भवती प्रथम तिमाही में दिन में कम से कम तीन बार पूरा भोजन व एक बार पौष्टिक नास्ता करें। द्वितीय एवं तृतीय तिमाही में दिन में तीन बार पूरा भोजन व दो बार पौष्टिक नास्ता करें। पूरे दिन में 8 से 10 गिलास पानी अवश्य पियें।

गर्भावस्था के दौरान दूध, दही,छाछ, पनीर, जैसे दुग्ध उत्पाद लें। इनमें प्रचुर मात्रा में केल्शियम, प्रोटीन और विटामिन होते हैं। ताजा मौसमी फल और सब्जियां खाएं क्योंकि इनसे विटामिन और खनिज मिलते हैं । अनाज, छिलके वाले अनाज और दालें प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत होते हैं। हरा साग लौह तत्व और फोलिक एसिड से भरपूर होता है।

महिला चिकित्सक डाॅ.रोमा गुप्ता ने बताया कि ग्राम मूंगफली के दाने और कम से कम दो कप दाल से शाकाहारी लोगों की प्रोटीन की दैनिक जरूरत पूरी हो जाती है। मांसाहारी लोगों के लिए मांस, अंडा, मुर्गा या मछली प्रोटीन और लौह तत्व के अच्छे स्त्रोत हैं।

उन्होंने कहा कि उचित पोषण से गर्भपात एवं प्रसवोत्तर रक्तस्राव में कमी आती है। जच्चा बच्चा की सही बृद्धि, सही मानसिक और शारीरिक विकास होता है। इसलिए गर्भवती गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार के साथ आयरन कैल्शियम की गोली लेती रहें।

सामान्यतया गर्भावस्था में गर्भवती को आयरन फोलिक एसिड की 180 गोली लेनी होती है। यदि हीमोग्लोबिन सात ग्राम से कम है तो उसे आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन लगाया जाता है। बच्चा पैदा होने के बाद भी प्रसूता को आयरन 180 गोलियां दी जाती हैं।

उन्होने बताया कि गर्भवती को संस्थागत प्रसव कराना चाहिए। प्रसव के बाद 48 घंटे तक अस्पताल में रहें। कारण कि माँ और नवजात शिशु में ज्यादातर जटिलता उसी बीच होती है । नवजात शिशु को पहले पोलियो की खुराक तथा हेपेटाइटिस बी और बीसीजी के टीके लगवा लेनी चाहिए।बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) देना जरूरी है।

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