Up kiran,Digital Desk : जब दो बड़े देशों के नेता मिलते हैं, तो उनकी तस्वीरें और गर्मजोशी से गले मिलना (जिसे आजकल 'Huglomacy' भी कहा जाता है) खूब सुर्खियां बटोरता है। लेकिन क्या हो जब एक दोस्त ही दूसरे दोस्त के लिए का कारण बन जाए? कुछ ऐसा ही हो रहा है भारत की राजनीति में, और इसके केंद्र में हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप।
ट्रंप ने एक बार फिर वही पुराना दावा दोहराया है, जिसने दिल्ली में सियासी पारा चढ़ा दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने ही भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़े टकराव को होने से रोका था। अब इस दावे को लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साध दिया है।
क्या है पूरा मामला?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में फिर से यह दावा किया कि जब भारत और पाकिस्तान एक बड़े संघर्ष के मुहाने पर खड़े थे, तब उनके हस्तक्षेप के बाद ही शांति बहाल हुई। कांग्रेस ने इस मौके को लपकते हुए पीएम मोदी और ट्रंप की दोस्ती पर तंज कसा है।
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि मोदी-ट्रंप की 'हगलोमैसी' अब ठंडी पड़ चुकी है। अमेरिका लगातार यह दावा कर रहा है कि ट्रंप ने दोनों देशों के बीच शांति स्थापित की।"
उन्होंने यह भी बताया कि यह दावा कोई नया नहीं है। ट्रंप खुद कम से कम 61 बार अलग-अलग जगहों पर यह कह चुके हैं कि उन्होंने भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" को रुकवाया था।
क्या था 'ऑपरेशन सिंदूर'?
दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और PoK में मौजूद आतंकी ठिकानों के खिलाफ "ऑपरेशन सिंदूर" शुरू किया था। ट्रंप का दावा इसी ऑपरेशन को लेकर है।
अमेरिका में ट्रंप की तारीफ, भारत में सवाल
दिलचस्प बात यह है कि जहाँ भारत में ट्रंप के दावे पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं अमेरिका में उनके साथी उनकी तारीफ कर रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ट्रंप की विदेश नीति को "परिवर्तनकारी" बताते हुए कहा कि ट्रंप वही फैसले लेते हैं, जो अमेरिका को सुरक्षित और मजबूत बनाते हैं।
ट्रंप खुद को एक "शांतिदूत" के तौर पर पेश करते हैं। उन्होंने दावा किया है कि भारत-पाकिस्तान के अलावा उन्होंने अर्मेनिया-अजरबैजान, इज़राइल-ईरान और रूस-यूक्रेन जैसे 8 बड़े युद्धों को खत्म करवाया है।
भारत का रुख हमेशा रहा है साफ
इन तमाम दावों के बीच, भारत सरकार का रुख हमेशा से एक जैसा और बिल्कुल साफ रहा है। भारत ने बार-बार कहा है कि पाकिस्तान के साथ उसके द्विपक्षीय मामलों में किसी भी तीसरे देश के हस्तक्षेप की न तो कोई जरूरत है और न ही ऐसा कुछ हुआ है।
लेकिन राजनीति में बयानों के अपने मायने होते हैं। ट्रंप का बार-बार यह दावा करना विपक्ष को सरकार को घेरने का एक और मौका दे देता है और यह सवाल खड़ा करता है कि पर्दे के पीछे आखिर हुआ क्या था?
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